लेखक की कलम से
बड़ी अजीब बात है….
हम दर्द बयान करते रहे
वो मज़े लेते गए
हम ज़ख़्म दिखाते रहे
वो नासूर बनाते गए
हम नम्र होते रहे
वो कमज़ोर बनाते गए
हम हालात बताते रहे
वो फ़रमान सुना गए
हम इश्क़ समझते रहे
वो दिल्लगी कर गए
बड़ी अजीब बात है !!
©अंशु पाल, नई दिल्ली