लेखक की कलम से
काश ….
काश हर पुरुष सत्यवान सम हो जाता।
हर महिला सावित्री सम हो पाती।
वट पूजन की सात्विकता भी भावनाओं में होती।
काश …
सभी जीवन में सिर्फ एक वट वृक्ष ही लगाकर सेवा करते ?
सभी दीर्घायु होते,स्वच्छ प्राण वायु मिल जाती।
पर्यावरण स्वच्छ संतुलन से भर हर्षाता।
धरा में हरियाली छा जाती ,भूस्खलन बच जाता।
कितना अच्छा लगता जब स्व संरक्षक वट की पूजा घर घर होती।
संस्कार और मर्यादा से नित्य भीतर सिंचित अंतःकरण भी होता।
आचरण और विचारो और कर्मो में एकता भी होती।
आज…मशीनी तीज-त्यौहार दिखते है।
कहीं तो आत्मीयता के साथ सब मनता?
काश..काश सभी स्त्रियाँ सावित्री सम सतीत्व विश्वास भी रखती
और हर पुरूष सत्यवान सा होता।
©अनिता शर्मा, झाँसी