लेखक की कलम से

वैष्णवी सुर सुंदरी …

 

आद्या त्रिनेत्रा भव्या, ज्ञाना सत्य अरु क्रिया

रौद्र मुखी भद्रकाली, कात्यायनी विष्णु प्रिया

 

 वैष्णवी सुर सुंदरी,

चिंता कहो नारी हूं मैं

 

संघर्षों की गर्जना

दुष्ट दलों की मर्दना

भरती नव संचेतना

हर लेती हूं वेदना

 

 हूं सबकी संवेदना,

दुर्गा कहो नारी हूं मैं

 

सृष्टि की संस्थापना

धरा स्वर्ग परिकल्पना

जीवन की प्रस्तावना

सदियों की संभावना

 

 स्त्रियों की चिंघाड़ना,

काली कहो नारी हूं मैं

 

प्रकृति की संयोजना

परिवार की संयुक्तना

संतो की आराधना

अंबर तक अतिरेकना

 

 युगांत तक जयकारना,

अंबा कहो नारी हूं मैं

©डॉ रश्मि दुबे, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश        

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