लेखक की कलम से

आओ दोस्तों …

 

 

कृपया सभी रखो अपना ख़्याल दोस्तों, आज नहीं कल मिलेंगे दोस्तों ।

कर लो आज गुज़ारा रूखी – सूखी में , कल मालपुआ उड़ाएंगे दोस्तों ।

 

अफ़वाहें तो अफ़वाहें हैं , इन पर यूं ना कान धरा करो दोस्तों ।

सबकी सोच अपनी – अपनी है , ना किया करो किसी की सोच पर एतराज़ दोस्तों ।

 

क्यों बंट गया ये एक ही मुल्क था जो आज दो हिस्सों में ना करो हिन्दू-मुसलमान दोस्तों ।

कहीं खो ना दें हम किसी अपने को सदा के लिए , किसी वहम की अग्नि में ना जलो दोस्तों ।

कांटों भरी है डगर नित आगे बढ़ो , कोरोना है संकट बहुत बड़ा इससे आंख लड़ा कर लड़ो दोस्तों।

 

जो भूखे हैं , जो प्यासे हैं , जो दर्द और वेदना में है उन पर करूणा बरसाओ दोस्तों ।

बरसेंगे आशा के बादल , वीराना फिर से महकेगा , यूं बैठो ना हार मान कर अर्जुन से तीर चलाओ दोस्तों।

 

जो लड़ रहे हमारे लिए इस आपदा से उन शूरवीरों को करो दिल से सलाम दोस्तों।

क्या बिगाड़ लेगा ये कोरोना हमारा , जब इस पर पड़ेगी हमारी एकता की मार दोस्तों ।

©प्रेम बजाज, यमुनानगर

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