लेखक की कलम से

इक्कसवी सदी का शगुन

वसुंधरा पर सौदर्य का श्रृंगार रचा है।
हर मन मे खुशियो का संचार हुआ है।
खुशियो की मनुहारे आई। लेकर वंसत सुनहरा
चारो ओर धरा पर सौदर्य की छवि झिलमिलाई।
सदी को इक्कीसवा साल लगा है।
बंद स्कूलो के दरवाजे खुल गए, विधार्थियो का उत्साह बढा है।
प्रफुल्लित चित से नववर्ष का आगमन हुआ  है।
विश्व शान्ति का बिगुल बजा कर नववर्ष की कोपलो से सौरभ का प्रवेश हुआ  है।
सदी के सौभाग्य का अभिषेक हुआ है।
इक्कीस का शगुन सदी से मिलन कर भाग्यश्री का नामांकन लिए जन जन को आनंदित करने का संदेश  मिला है।
सदी का शुभारंभ इक्कीसवा साल लगा है।
” नव कोपले फले-फूले, फलो से वृक्षो को भर देना।
हर मन मे ईश्वर  करूणा, दया के भावो का सृजन भर देना।
इक्कीसवी सदी मे
ईश्वर हर घर के भंडार, अन्नदाताकृषको को सम्मान
कन्याओ  के मन से खौफ को दूर कर देना।
हे ईश्वर!
इक्कीसवी सदी को शुभ कर्मो वाला साल घोषित कर देना।

©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा

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