लेखक की कलम से

आज फिर से …

 

आज फिर से….

एक बेटी अंकिता उत्तराखंड से दरिंदगी

की शिकार हो गयी

और तमाशबीन

फिर दो चार आँसू  बहा

नारे लगा चुप हो जायेंगे

आखि कब तक..?

आरोपी  निर्भया के भी

फांसी  पर  लटकाये  गये

और हैदराबाद  की पीडिता

के भी एनकाउंटर किये गये

पर नहीं  थमा

यह दरिंदगी का दौर

आखिर कब तक..?

आखिर कब तक समाज

इन घिनौने अपराधों को

यूंं देख  निर्निमेष अश्रु  बहाता रहेगा

आखिर कब तक हम समाज को

वर्ण में बांट कर उस पीड़िता के

बलिदान  का मखौल उड़ायेंगे

आखिर कब तक हम उस पीड़िता

के शरीर को तारतार कर,बलात्कार कर

आखिर कब तक…?

अपनी राजनीतिक  रोटियां सेकते रहेंगे

आखिर कब तक वो मां बाप खामोश रहेंगे

जिनके होनहार सपूत ये दरिंदगी करते रहेंगे

समाज अब भी गर सोया रहा

तो ना ही कोई नर

और ना ही कोई नारी सुरक्षित  रहेगी

और ये दरिंदे सरे आम तांडव करेंगे

क्योंकि  जब तक हम कुछ नहीं  करेंगे

ये  किसी से नहीं डरेंगे।

आखिर कब तक…?

 

 

©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद                                            

 

 

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