भारत के वीर …
शूरवीरों की कुछ कहानी,
सुने आज कुछ मेरी जुबानी,
अनगिनत थे वीर सेनानी,
मातृभूमि पर बलि बलि चलते थे,
देखा जब संकट वसुधा पर,
सर्वस्व न्योछावर करते थे,
न डिगा सकी कोई राहे,
वीरो को संकल्पों से,
मिट गए वो तो,
बने नींव के पत्थर से,
हिला कर हर दुश्मन भी,
वंदेमातरम गाया था,
मिटा हर देश का दुश्मन,
तिरंगा फहराया था,
रक्त की हर बूंद भी जो,
देश के नाम कर गए,
नमन उन वीरो को जो,
देश का नाम कर गए,
हिला कर हर नींव दुश्मन की,
आजाद हमे वो कर गए,
कर न्यौछावर खुद को,
वह काज अनोखा कर गए,
ये आजादी उनकी धरोहर,
रक्षक हमे ही बनना है,
देश के हर दुश्मन को,
नष्ट हमे ही करना है,
हो आँखों मे अश्रु भी अब,
दिल मे देश प्रेम ही हो,
आज हमारा हर कृत्य भी
मातृभूमि को समर्पित हो,
एकता के भाव से ही,
हर शत्रु मिटाना हैं,
हम रहे न रहे,
पर देश पर आँच न आना है,
ले तिरंगा हाथ मे अब,
संकल्प हमे ही करना है,
मिल आज हम सब को,
पीड़ा भारत माँ की हरना हैं,
अपना कण कण दे मातृभूमि को,
कुछ अपना कल्याण करे,
कर तिलक पवन रज का,
चलो कदम बढ़ाते चले,
जयहिंद की सेना के ही,
हम सब सेनानी हैं,
मिल जुल हम सबने,
हर शत्रु मिटाने की ठानी हैं,
आज प्रण हैं हमारा,
देश पर बलि बलि जाना है,
आन बान शान में भारत की,
बस बलिदान हो जाना है,
श्रद्धा सुमन वीरो को,
यही अद्वितीय होगा,
देश प्रेम से भरा यहाँ,
जब हर एक बालक होगा,
जयहिंद का नारा लबो पर,
मस्तक पर धरा रज होगा,
जन गण मन से गुंजायमान,
वसुधा का कण कण होगा।।
जयहिंद
©अरुणिमा बहादुर खरे, प्रयागराज, यूपी