एक माचिस की तीली …
एक माचिस की तीली कुछ जला सकती है ।
एक माचिस की तीली कुछ सुलगा सकती है ।
तीली डिब्बी की सतह पर घिस कर बनती है चिंगारी ।
इस चिंगारी से शुरू होती है, गृहस्थी की गाड़ी ।
इस चिंगारी से बुझ जाती है कभी कोई लाचार नारी ।
यह तीली सुलगाती भी है सिगरेट और बीड़ी ।
इस तीली से सुलग जाते है कभी कई भूखे पेट ।
इसी तीली से हो जाते है कई विस्फोट ।
कहने को माचिस की तीली,
पर इसने कई जिंदगियां लीली ।
विज्ञान का यह आविष्कार,
बन गया एक अनियंत्रित हथियार ।
जब क्रुद्ध हो जाते हाथ
और दिमाग में घुस आती कुराफात ।
जला देते फाइलों और दस्तावेजों को ।
कभी जलता पुस्तकालय
तो कभी किसी का आलय ।
गर, प्रयोग करनी है माचिस की तीली ,
तो सोच नही हो ढीली ।
इस तीली से करो रचनात्मकता का आगाज,
नहीं जलाओं इससे किसी का काज ।
©परिणीता सिन्हा, गुरुग्राम, दिल्ली
परिचय: काव्य, लघुकथा व सम सामयिक मुद्दों पर लिखना, कविताओं का साझा संग्रह, इंद्रधनुष, रचते हस्ताक्षर प्रकाशित, राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं व लेख प्रकाशित, कई पुरस्कार प्राप्त।