लेखक की कलम से

फिर ना आए साल कोई ऐसा …

 

जनवरी बिता उमंगों में

फरवरी में उदासी छाई।।

 

मार्च बिता निराशा में

फिर बारी अप्रैल की आई ।।

 

इसने थोड़ी तबाही मचाई

फिर भी लोगों में उम्मीद जगाई।।

 

मई में थोड़ी राहत मिली

पर कोरोना से नहीं मुक्ति मिली।।

 

जून आएगा उम्मीदों भरा

फिर छाएगा उत्साह नया।।

 

जुलाई में हम होंगे आज़ाद

रौनक होंगे फिर बाज़ार ।

 

अगस्त में होंगे भाई-बहन साथ

और होंगे हाथों में हाथ।।

 

सितम्बर में होगा सब आसान

तब तक भाग जाएगा कोरोना शैतान।।

 

अक्टूबर में करेंगे शक्ति की पूजा

और ना होगा काम कोई दूजा।।

 

नवम्बर में होंगे हम सब साथ

जलाएंगे दिए दीवाली की रात।।

 

दिसम्बर में करेंगे प्रार्थना

बीते ना ऐसे फिर साल कोई अपना।।

✒️……..

©केबी सिंह, दिल्ली

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