लेखक की कलम से
अहसास ….
हरक्षण कुछ लिखती हूं
सुंदर अहसास
वो पल छोड़ देती हूँ
जहाँ है बुरे अहसास
मन के कैनवास पर
उस चित्र को उकेरती हूँ
जिससे हो जग मे प्रकाश
कुछ शब्द ही तो हैं
जो बना लेते हैं जगह
अपनों के बीच अपनाभरा
नहीं तो जीवन हो जाये ये कटुभरा
द्वेष ,विद्वेष से हटकर
कुछ पल, कुछ क्षण
जिंदगी को जिया जा सकता है
अपनापनभरा।
@सुप्रसन्ना झा, जोधपुर