लेखक की कलम से

स्वागत नववर्ष…

प्रातः कालीन सूर्य

नेत्रों को देता है सुख

और,

भर देता है जीवन में,

आशाओं की ढेर सी रश्मियाँ

 

अथक परिश्रम का संदेश दे

प्रस्तुत करता है उदाहरण

सच्चे श्रम की जीत का

 

लंबी शीत भरी रात्रि को विदाकर

लौटता है अपने तेज के साथ

जीवों के साथ वनस्पतियों में भी

भरता है जीवन

 

संसार के सम्मुख आकर

 

मानो कहता है,

ज्यों रात के अंधेरों से लड़,

पुनः विजयी हो,

प्रफुल्लित मन,

निकल आया हूँ स्वयं मैं.

वैसे ही…इस वर्ष,

दुनिया के अंधेरों से लड़,

विजयी होकर

सूर्य सा चमकना तू भी…

©सरस्वती मिश्र, कानपुर, उत्तरप्रदेश

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