लेखक की कलम से

जहर…..

न जाने क्यों लोग इस “जहर” से डर जाते है,
नजर घुमाके देखो आजकल
लोग शक्कर से मर जाते है….”

मीठे मीठे बोलकर कुछ लोग,
जी को यूँ मिचलाते है,
अरमानो की पोटली
दूजे के कंधों पर उठवाते है..

डर डर कटता, जीवन सारा
जहर से यूँ ख़बराते है,
गले लगाकर दूजे का बोझा
अपनी सामत लाते है..

जहर ही बस बदनाम यहाँ,
बेबात ही सब डर जाते है,
नजर घुमाके देखों भैया
लोग तो शक्कर से मर जाते है..”

©गगन शर्मा

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