मध्य प्रदेश

मोदी की महाकाल में मौन साधना, महाकाल मंदिर के गर्भगृह में रुद्राक्ष की माला से किया मंत्र जाप …

उज्जैन। महाकाल लोक के लोकार्पण समारोह में पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में मंगलवार शाम प्रधानमंत्री ने भगवान महाकाल की पूजा अर्चना की। शाम करीब 6.05 बजे मंदिर पहुंचे नरेन्द्र मोदी नंदी मंडपम् में आए। सबसे पहले उन्होंने भगवान नंदी का प्रणाम किया इसके बाद गर्भगृह में पहुंचे। गर्भगृह में भगवान महाकाल के सम्मुख बैठकर उन्होंने पूजन की शुरुआत की। पुजारी पं.घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में मोदी ने आवाहन, स्थापन, आसन, पाद्य, आचमन, स्तुति के पश्चात भगवान गणेश, माता पार्वती तथा भगवान कार्तिकेय को प्रणाम किया। पुजारी ने उन्हें चंदन का त्रिपुंड, कुमकुम का तिलक तथा रुद्राक्ष की माला पहनाई। इसके बाद ज्योतिर्लिंग की अर्ध परिक्रमा करते हुए कुछ देर ध्यान लगाने के बाद रूद्राक्ष की माला से मंत्र जाप किया।

महाकाल लोक के प्रवेश द्वार पर प्रधानमंत्री मोदी ने कलावा (रक्षासूत्र) से बनाए गए 16 फीट ऊंचे शिवलिंग का अनावरण भी किया। विद्वानों के अनुसार रक्षासूत्र शुभता का प्रतीक है। यह सुरक्षा का कारक है और धर्म में एकाग्रता को बढ़ाता है। इसका लाल रंग अशुभ को हटाता है, पीला ज्ञान की वद्धि करता है, हरा रंग समद्धि देता है और नीला रंग मानसिक अवसाद को दूर करता है। यही कारण रहा कि भव्यह प्रवेश द्वार पर ही रक्षासूत्र से बने शिवलिंग को रखा गया। इसकी ऊंचाई भी वास्तु शास्त्रश के अनुसार रखी गई। वास्तु का शास्त्रक कहता है कि 11, 13 व 16 फीट ऊंचाई के शिवलिंग शुभ माने जाते हैं। यह एक तरह से ऊर्ध्वरगामी शिवलिंग है, जो धर्म को उत्तारोत्त,र ऊर्ध्व  दिशा में ले जाता है। यही कारण रहा कि इसकी ऊंचाई 16 फीट रखी गई।

प्रधानमंत्री मोदी जब गर्भगृह में थे, तब वे राष्ट्रलनायक की जगह महादेव की साधना में रत जोगी अधिक लगे। वे पूजन के पश्चात गर्भगृह में ही माला लेकर जाप करने बैठे और शिव की आराधना की। उन्होंवने करीब पांच मिनट तक सुखासन में बैठकर गहन मौन साधा और ध्या न लगाया। तत्पउश्चात माला को पांच बार नेत्रों से लगाकर उसे हाथ में कलावा (रक्षासूत्र) की तरह वैसे ही लपेट लिया, जैसे विरक्त  साधु लपेटते हैं। ध्याकन के पश्चाात उन्होंूने बाबा महाकाल को पुन: प्रणाम किया और आशीर्वाद लेकर नवनिर्मित ‘महाकाल लोक’ के लोकार्पण के लिए प्रस्था्न कर गए। महाकाल लोक में प्रवेश करने से पहले उन्हें नंदी मंडपम में रखी भेंट पेटी में भेंट भी चढ़ाई।

महाकाल मंदिर पहुंचने पर प्रधानमंत्री सबसे पहले परिसर स्थित महानिर्वाणी अखाड़े पहुंचे। यहां उन्होंने स्नान कर नए वस्त्र पहने। इसके बाद अखाड़े की परंपरा अनुसार गादीपति महंत विनीत गिरिजी महाराज ने प्रधानमंत्री को चंदन का त्रिपुंड लगाकर रुद्राक्ष की माला पहनाई तथा शाल, श्रीफल व भगवान महाकाल का लड्डू प्रसाद भेंट किया।

हिमालय की गोद में विराजित केदारनाथ, मां गंगा के किनारे स्थित काशी विश्वानाथ व गुजरात में विराजित सोमनाथ मंदिर में नवनिर्माण के बाद अब मोक्षदायिनी शिप्रा की नगरी उज्जैवन में विराजित स्वायंभू ज्योेतिर्लिंग महाकाल के लिए भी ‘नवनिर्मित ‘लोक’ का निर्माण हो गया। इसके साथ ही कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि का यह दिन उज्जैिन व भारतवर्ष के इतिहास में दर्ज हो गया। मंगलवार का सूर्य जब उदित हुआ, तो उसने देखा उज्जवयिनी के राजाधिराज और इस सृष्टि के अधिपति महाकालेश्वजर ज्योितिर्लिंग का अद्भुत वैभव। शाम होते-होते यह वैभव तब और बढ़ गया, जब राष्ट्रमनायक व शिवभक्तय प्रधानमंत्री नरेन्द्रभ मोदी नवनिर्मित ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण करने महाकाल नगरी उज्जैयन पहुंचे। पूरी दुनिया में बसे सनातन धर्मावलंबियों की दृष्टि उज्जहयिनी पर थी। उज्जायिनी की धरा पर ऐसा अद्भुत दृश्य  देखकर श्रद्धालुओं को ऐसा लगा, जैसे हजारों वर्षों की साधना का पुण्य‍ फलित हो गया हो। समूचा भारत ही नहीं, विश्व भर में मौजूद सनातन धर्मावलंबियों और महाकाल भक्त टेलीविजन एवं सोशल मीडिया पर लाइव देखकर भाव-विभोर हो गए।

गौरव के पल, महाकाल लोक के लोकार्पण से सनातन धर्म के अखाड़ों में उत्साह। स्कंद पुराण के अवंतिखंड तथा शिव से संबंधित धर्मशास्त्रों में महाकाल वन का उल्लेख मिलता है। महाकाल लोक की रचना अद्भत व अकल्पनीय है।

नया अध्याय होगा

सनातन हिंदू धर्म व संस्कृति के पुनर्उत्थान का जो संकल्प प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के प्रयासों से महाकाल लोक के रूप में वह पूर्ण होने जा रहा है। इससे देश के समस्त साधु-संत व धर्मावलंबी प्रसन्न हैं। उज्जयिनी के इतिहास में भी यह नया अध्याय होगा।

-बालयोगी उमेशनाथजी महाराज, क्षेत्र वाल्मीकि धाम पीठाधीश्वर

साकार हुआ महाकाल वन

स्कंद पुराण के अवंतिखंड तथा शिव से संबंधित धर्मशास्त्रों में महाकाल वन का उल्लेख मिलता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इसे महाकाल लोक के रूप में साकार कर दिया है। महाकाल के आंगन की इस चैतन्य भूमि पर यह रचना सत्यम, शिवम, सुंदरम के दर्शन करा रही है।

महंत विनीत गिरि महाराज, गादीपति महंत महाकालेश्वर मंदिर

अद्भुत, अकल्पनीय महाकाल लोक

महाकाल लोक की रचना अद्भत व अकल्पनीय है। मुझे लगता है स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने इसका निर्माण किया है। महाकाल के आंगन में शिव की लीलाओं का दर्शन सैकड़ों जन्मों के पुण्य फलित होने जैसा है। इसके लिए प्रधानमंत्री का विजय तथा मुख्यमंत्री चौहान का समर्पण प्रसन्नाता प्रदान करने वाला है।

-स्वामी शांतिस्वरूपानंद महाराज, महामंडलेश्वर निरंजनी पंचायती अखाड़ा

 

स्वतंत्रता के बाद संस्कृति का पुनर्उत्थान हुआ

महाकाल लोक देश में सनातन धर्म परंपरा तथा संस्कृति के पुनर्उत्थान का प्रतीक है, इससे उज्जैन का गौरव और बढ़ गया है। आने वाले दिनों में उज्जयिनी धर्म व संस्कृति के साथ आर्थिक रूप से भी संपन्ना होगी। महाकाल लोक के निर्माण से उज्जैन का धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा तथा रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे।

धरती पर साकार हुआ ‘शिव का लोक’

प्रधानमंत्री ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण करने पहुंचे तब तक शाम का झुटपुट अंधेरा हो चुका था। इस अंधेरे में लोक का उजास चमक उठा। अद्भुत अत्यामधुनिक लाइटिंग से सुसज्जित ‘महाकाल लोक’ में प्रधानमंत्री ने एक-एक प्रतिमा, भित्ति चित्र, कमलताल, मानसरोवर भवन, त्रिपुरासुर वध प्रतिमा, आनंद तांडव, समुद्र मंथन आदि को देखा। नव्यर और भव्ये लोक जब अपने संपूर्ण सौन्दुर्य व वैभव के साथ लोकार्पित हुआ, तो ऐसा लगा मानो साक्षात शिव का संपूर्ण लोक इस धरती पर ‘महाकाल लोक’ के रूप में अवतरित हो आया है। शाम 5 बजे बाद महाकाल मंदिर में जलाभिषेक निषेध होने के कारण षोडशोपचार पूजन अर्थात 16 प्रकार के मंगल द्रव्यों  से राजाधिराज का पूजन किया गया। इन 16 द्रव्योंत में चंदन, अबीर, गुलाल, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा, नवीन वस्त्रि, प्रक्षालन के लिए जल आदि विधियों से पूजा करवाई गई। मोदी पूरे पूजन के दौरान किसी योगी की भांति आदियोगी महाकाल के समक्ष साधना मुद्रा में बैठे रहे। पुजारी दल ने प्रधानमंत्री को अंगवस्त्रि भेंट कर बाबा महाकाल का आशीर्वाद दिया।

शिलालेख पर जीवंत हुई संस्कृत

महाकाल लोक जैसे सांस्कृतिक व आध्या त्मिक चेतना वाले स्थसल का शिलालेख भी देवताओं की भाषा संस्कृत में ही लिखा गया। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र  मोदी, मप्र के राज्यकपाल मंगु भाई पटेल, मुख्यसमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम, लोकार्पण की तिथि लिखी गई है। यद्यपि संस्कृत के नीचे हिंदी भाषी श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए देवनागरी लिपि में भी तीनों महानुभावों के नाम व तिथि आदि लिखे गए हैं।

 

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