मध्य प्रदेश

सिविल सर्विस डे पर सीएम की अफसरों को नसीहत और शाबाशी : बोले- मैं अफसर हूं, दो मिनट में सही कर दूंगा वाला अहंकार छोड़िए

अफसर संकल्प लें कि कोई भी जायज काम शेष न रहे, लोगों को भटकना न पड़े - शिवराज सिंह

कैलाश गौर, भोपाल। मुख्यमंत्री सीएम शिवराज सिंह ने शुक्रवार को प्रशासनिक अधिकारियों को नसीहत देते हुए कहा कि मैं अफसर  हूं, दो मिनट में सही कर दूंगा, इस अहंकार से दूर रहना चाहिए। कहते हैं कि घमंडी का सिर नीचे होता है। यह आज भी सौ फीसदी सही है। सर्विस का घमंड आ गया कि हमआईएएस  या आईपीएस  हैं, तो ये आदमी को चढ़ाने वाला मामला है। हम जनता के सेवक हैं। मुख्यमंत्री है तो जनता की सेवा के लिए है। हम सबको अहंकार शून्य होना चाहिए। धूल चढ़े और पसीने की बदबू वाले आदमी को गले लगाने में मुझे आनंद आता है।

सीएम शिवराज सिंह राजधानी स्थित प्रशासन अकादमी में शुक्रवार को आयोजित सिविल सेवा दिवस समारोह 2023 कार्यक्रम काे संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि इस समय हमारे दिमाग में एक ही चीज है कि कोई भी समस्या न छूट जाए। नगर निगम या नगर पालिका के छोटे-मोटे काम जिनसे रोज वास्ता पड़ता है, लोगों को वहीं समस्या होती है। इसमें प्रशासन बदनाम होता है। हम इस सिविल सर्विस डे पर संकल्प करें कि एक भी ऐसा काम, जो जायज है, जो होना चाहिए, शेष न रहे।

सीएम ने अधिकारियों से कहा कि हम चुनौती स्वीकार करें। लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा। गांव में और शहर के वार्डों में शिविर लगेगा। हमने सीएम हेल्पलाइन प्रारंभ की, जो बहुत लोकप्रिय हुईं, गुड गवर्नेंस की अनेकों कोशिशें कीं, जिनमें समाधान ऑनलाइन, जनसुनवाई, वनडे गवर्नेंस इत्यादि हैं। उन्होंने कहा कि सीएम  हेल्पलाइन में अब सुधार की जरूरत है। कुछ लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। कई बार लोग परेशान करने के लिए जनप्रतिनिधियों और सरपंच की शिकायत करवा देते हैं कि जांच हो जाए। फंसेगा तो फिर उसे ब्लैकमेल करो। शिकायत बंद कराने के लिए ब्लैकमेल करने के लफड़े शुरू हो गए। इस वजह से समय-समय पर विश्लेषण कर विसंगति दूर करनी होगी। हम टेक्नोलॉजी से दूर नहीं रह सकते, लेकिन विश्लेषण कर लेना चाहिए। अपने आपको आज की टेक्नोलॉजी के साथ जोड़कर विसंगतियों को कैसे दूर कर सकते हैं, इस पर विचार करना होगा।

हमारा काम ही समाज की सेवा है

सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि सिविल सर्विस डे का अर्थ ही यह है कि हम लोग हैं जनता की सेवा के लिए। हम लोक सेवक हैं। हमारा मूल काम ही देश की सेवा और समाज की सेवा है। लोकतंत्र में हम सब जानते हैं कि जनता का, जनता के लिए जनता के द्वारा शासन है। यानी जो कुछ है जनता के लिए ही है। हम समृद्धि की बात करें, विकास की बात करें, इंफ्रा की बात करें, सुरक्षा की बात करें। अंततः सब लोगों के लिए है, जनता के लिए है।

दी शाबाशी : हमारे कई अफसर दिन-रात परिश्रम करते हैं, उन पर गर्व है

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हमारे कई अधिकारी मित्र दिन-रात परिश्रम करते हैं मैं खुद साक्षी हूं। कई वर्षों से काम करते हुए देखा है। उन्हें देखकर गर्व होता है। अफसरों में अनेक ऐसे हैं, जो दिन और रात जिद, जुनून और जज्बे के साथ काम करते हैं। अपने आप को पूरी तरह झोंक देते हैं। सरकार ने कोई रीति-नीति बनाई तो उसका स्वरूप निर्धारण करना और नीचे जमीन पर उतार देना। और एक हैं जो तत्काल परिणाम देने पर विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं टीम को बधाई देना चाहता हूं। हमने मध्यप्रदेश को विकसित और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कई बार सोचता हूं तो यहां केवल 71 हजार किमी टूटी सड़कें हुआ करती थीं। आज मध्यप्रदेश का बजट 3 लाख 14 हजार करोड़ पहुंच गया है। सीएम ने कहा कि पिछले दिनों बुरहानपुर में परिस्थिति बनी थी, वहां के प्रशासन ने बड़ी समस्या को ढंग से निपटा दिया। कई बार हम अच्छा काम करते हैं, लेकिन राजनीतिक नजर, मीडिया की दृष्टि अलग होती है। नए अफसर शुरुआत में बहुत उत्साह से काम करते हैं, बाद में ढीले पड़ जाते हैं। ये नहीं होना चाहिए।

सीएम शिवराज ने अफसरों को दी ये सलाह

इस अवसर पर शिवराज सिंह ने अफसरों को सलाह दी कि अहंकार न करें कि हम तो आईपीएस हैं, आईएएस हैं। हम जनता के सेवक हैं। हमें अहंकार में नहीं रहना चाहिए। यह दिमाग में रहना चाहिए कि हम जनता की बेहतरी के लिए हैं। हमें हमेशा ये ऐहसास रहना चाहिए कि हम लोगों के लिए हैं। उन्होंने कहा कि कई चुनौतियां आती हैं। उन परिस्थितियों का मुकाबला करना पड़ता है। धैर्य नहीं खोना है। आप टीम के लीडर हैं। हमारा उत्साह अगर कम हुआ तो हम कहीं काम नहीं कर पाएंगे और नुकसान देश व प्रदेश का होगा। आज प्रदेश को अगर यहां लाकर खड़ा किया है तो हमने किया है।

शिवराज ने उद्योगपतियों को बताया सबसे दीन-हीन 

मैं 64 साल का हो गया हूं और कितना जीऊंगा 10, 12, 15 साल। दौलत कभी सुख नहीं देती। हमारे आदिवासी भाइयों को कल की चिंता नहीं रहती। वे हर दिन त्योहार मनाते हैं। वहीं, बड़े उद्योगपति मेरे पास आते हैं। कहते हैं- सर ये छूट दे दीजिए। पहले मुझसे मिलेंगे, फिर अफसर से जाकर मिलते हैं। सबसे ज्यादा दीन-हीन यही लगते हैं।

मुख्य सचिव बोले… हम मनन करें कि हम क्या हैं और आगे क्या होंगे

इस अवसर पर मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस ने कहा- सिविल सर्विस की लंबी परंपरा देश में रही है। इसका इतिहास, उपलब्धियां और सफलताओं को सेलिब्रेट करने के लिए इस दिन का आयोजन करते हैं। ये दिन मूलत: लोकसेवा में हमारी उत्कृष्टता को दोहराने का दिन है। हमारी प्रशासनिक व्यवस्था डटकर हर चुनौती का मुकाबला करती है। हमने हर टास्क को अपेक्षाओं पर खरा उतारा है। ऐसी योग्य और दक्ष टीम के साथ काम करने का मौका मिला। अब पब्लिक ऑडिट और स्क्रूटनी की बहुत मांग बढ़ी है। ऐसे में बहुत सी कमियां सामने आती हैं। अपने अच्छे काम को प्रचारित करने और उसकी व्याख्या करने में हम कमजोर पड़ जाते हैं। नतीजा ये होता है कि कमियां दिखने लगती हैं और उपलब्धियां नजर नहीं आतीं। इसलिए जरूरी है कि हम इस बात पर मनन करें कि हम क्या थे, क्या हैं और आगे क्या हों।

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