लेखक की कलम से

हमसे अच्छा भोला किसान…

साल बीतने जा रही है

पर मानवता तार-तार हो रही है

महाभारत का चीर हरण

पग-पग जारी है

नारी आज भी अबला नारी है

कैसे कह दूं

हम पढ़ लिखकर समझदार हो रहे हैं

हमसे अच्छा तो

वह भोला है

जो किताबों से दूर

पर

मानवता के साथ है

क्या यही भारत है

जहाँ भगत सिंह ने जान दे दी

कि

एक दिन दरिंदे

खुले आम

चीर हरण करेंगे

आओ शपथ लें

नव वर्ष

किसी का दामन

दाग दार न हो

©जितेंद्र शुक्ला, व्याख्याता, तखतपुर, बिलासपुर

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