लेखक की कलम से
कहना है कुछ..बस यूं ही..!
“हम तो..!”
ये सरकार तुम्हारी है
ये सरोकार तुम्हारा है
हर उत्सव में तुम नाचो
हर गायन भी तुम गाओ
भीड़ में जुटना है हमको
वोटर हैं जी बस वोटर हैं हम तो
तुम दोनों लड़ो
तुम दोनों जीतो
ये आभास भी तुम्हारा है
ये विकास भी तुम्हारा है
बीच पड़ी लाशों में पटना है हमको
वोटर हैं जी बस वोटर हैं हम तो
ये’क’ माल भी तुम्हारे हैं
ये दलाल भी तुम्हारे हैं
तुम्हारी नज़र व्यापारी है
सब बिकने की तैयारी है
सामनों जैसे खपना है हमको
वोटर हैं जी बस वोटर हम तो
हमारा धर्म देश है
हमारा कर्म देश है
हर दायित्वों का सपना हैं हम तो
वोटर हैं जी बस वोटर हैं हम तो!