लेखक की कलम से

शामगढ़ का धर्मराजेश्वर मंदिर सुंदरता, विशालता और उत्कृष्टता का अद्भुद संगम …

मंदसौर। जिले की सीतामऊ तहसील के शामगढ़ ग्राम में शैलोत्कीर्ण आदर्श कृति के रूप में प्रसिद्ध आठवीं शताब्दी में निर्मित धर्मराजेश्वर मंदिर कैलाश मंदिर की भांति एकाश्म शैली में निर्मित हुआ। मंदसौर जिले के अर्न्तगत गरोठ तहसील के चंदवासा से तीन किलोमीटर दूर इस मंदिर में चट्टान को खोखला कर के ठोस पत्थर को देवालय में परिवर्तित किया गया है। धर्मराजेश्वर या धर्मनाथ मंदिर उत्तर भारत का एलोरा कहलाता है। डॉ. आनंद कुमार स्वामी के अनुसार “यह मंदिर नागर शैली का सजीव उदाहरण है। इसकी गणना मसरूर कांगड़ा की शैल वास्तु की कोटि में की जा सकती है।”

सुंदरता विशालता और उत्कृष्टता लिए यह मंदिर 54 मीटर लंबी, 20 मीटर चौडी तथा 09 मीटर गहरी शिला को तराशकर बनाया गया है। उत्तर भारतीय मंदिर की भांति इसमें भी द्वार, मंडप, गर्भगृह व शिखर निर्मित हैं। मध्य में एक बड़ा मंदिर है जिसकी लंबाई 1453 मीटर तथा चौड़ाई 10 मीटर है। इसका उन्नत शिखर आमलक तथा कलश से युक्त है। इस मंदिर में महामंडप की रचना पिरामिड आकार में उत्कीर्ण की गई है। मध्य में लगभग 14.52 मीटर लंबाई व 10 मीटर चौड़ाई का शिखरयुक्त देवप्रासाद है जिसके चारों ओर छह लघु देवालय हैं। दोनों पार्श्व में सोपान मार्ग हैं जो मंदिर के प्रांगण में प्रविष्ट होते हैं। बाएं कोने में एक मीठे जल की कुइया है ।देवालय से जल निकास हेतु 68 मीटर लंबा, 4 मीटर चौड़ा व 9 मीटर गहरा सुरंगनुमा मार्ग खोदा गया है। देवप्रासाद के प्रांगण में प्रवेश द्वार पर दोनों पार्श्व गृहों में बाईं ओर भद्रकाली व दाईं ओर नटराज की प्रतिमाएँ हैं।

धर्मराजेश्वर मंदिर में गुफा में स्थित मंदिर में बलुआ पहाड़ को काटकर विष्णु मंदिर बनाया गया है जिसे बाद में शिव मंदिर का रूप दिया गया। पहाड़ काटकर बौद्ध गुफाएं, चैत्य विहार एवं बुद्ध प्रतिमाएं बनाई गईं हैं। गुफाएंशामगढ़ से 12 किलोमीटर सड़क मार्ग की दूरी पर स्थित है । भीम बैठका एवं गुफा में स्थित स्तूप भी दर्शनीय है। गुफा में स्थित मंदिर को एक ही गुफा को काटकर बनाया गया है।

मंदिर के दूसरी ओर बौद्ध चैत्यगृह व विचारों की श्रृंखला है। ये गुफाएंजेम्स टाॅड द्वारा प्रकाश में लाई गई थी। सन 1960-61 में गुफाओ की सफाई के दौरान यहाँ मृण-मुद्रा मिली थी जिसपर गुप्त युगीन ब्राह्मी लिपी में ‘चंदनगिरी विहारे’ उत्कीर्ण है। लेटराइट चट्टान में उत्कीर्ण यहाँ लगभग 80 गुफाएंहैं। इनमें से 3,4,7,9,11,12,13,14 क्रमांक की गुफाएं चैत्य गृह हैं व 2 व 10 क्रमांक की गुफाएं विहार हैं। इन गुफाओं में क्रमांक 7 बड़ी कचहरी, 9 छोटी कचहरी , 12 भीम बाज़ार व 14 छोटा बाज़ार कहलाती है। बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय से संबंधित इन गुफाओं का निर्माण 5वीं-छठी शताब्दी के मध्य हुआ होगा, ऐसा अभिलेखितक व साहित्यक साक्षों से अनुमान होता है। वर्तमान में यह केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है।

 

©डा. मेघना शर्मा                       

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