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अशोक गहलोत को दिल्ली में बैठाने की तैयारी, सचिन पायलट को मिलेगा मौका …

जयपुर । राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस मुख्यालय दिल्ली में शिफ्ट किए जाने की तैयारी अंदर ही अंदर चल रही है। सोनिया गांधी के सबसे विश्वसनीय लोगों में दिवंगत अहमद पटेल के बाद अशोक गहलोत का भी नाम है, ऐसे में राजस्थान की कमान सचिन पायलट को दी जा सकती है। छत्तीसगढ़ में यदि ढाई साल का फार्मूला लागू हुआ तो इसका असर राजस्थान में पड़ना तय है।

राजस्थान में एक बार फिर कांग्रेस के अंदर नेतृत्व परिवर्तन को लेकर रस्साकसी तेज हो गई है। अशोक गहलोत- सचिन पायलट के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर चली आ रही चर्चाओं को भी फिर हवा मिल गई है। इस बार अशोक गहलोत के खिलाफ ऐसा दांव चला गया है जो उन्हें न तो स्वीकारते बन रहा है और न ही नकारते। पिछली बार जब नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा उठा था लेकिन कहते हैं कि हमेशा स्थितियां एक सी नहीं रहती हैं। अहमद पटेल के निधन के बाद दिल्ली में केंद्रीय आलाकमान के लिए एक ऐसे शख्स की तलाश है जो राजनीतिक नजरिए से तो मैच्योर हो ही, उसकी निष्ठा भी मजबूत हो। कांग्रेस का मानना है कि बहुत समय तक यह पद खाली भी नहीं रखा जा सकता। दिल्ली में मौजूद जो विकल्प थे, उस पर नजर दौड़ाई जा चुकी है। बस यहीं से अशोक गहलोत का नाम उछला है। कहा जा रहा है कि अहमद पटेल वाली पोजिशन भरने के लिए जो भी ‘गुण’ चाहिए, वे सब अशोक गहलोत में हैं।

माना जा रहा है कि गहलोत अहमद पटेल के भी बहुत ही विश्वासपात्र रहे हैं। ऐसे में भी उन्हें अहमद पटेल की जगह देखा जा रहा है। यह भी कहा जाता रहा है कि गहलोत सरकार के संकट में आने के बाद अहमद पटेल की कांग्रेस और गहलोत दोनों के लिए खेवनहार बने थे। इके अलावा भी बहुत से ऐसे कारण है, जिससे कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि अशोक गहलोत राजस्थान छोड़ अब दिल्ली आ जाएं।

उधर, अशोक गहलोत हैं कि वे किसी भी सूरत में राजस्थान नहीं छोड़ना चाहते। उनके सामने अभी अपने बेटे को भी स्टेट पॉलिटिक्स में स्थापित करने की चुनौती है। अहमद पटेल की भूमिका में दिल्ली शिफ्ट होने का मतलब कि वे किंग मेकर तो बन सकते हैं। मगर राजस्थान की कुर्सी सचिन पायलट को देनी होगी। ऐसे में वे अपने पुत्र को राजनीति में किस हद तक स्थापित कर पाएंगे यह बड़ा प्रश्न है।

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