छत्तीसगढ़बिलासपुर

इंडस्ट्रियल पार्क की जगह अफसरों ने बना दिया सरकारी ओपन बार, फूंक दिए 10 करोड़ से अधिक का फंड …

बिलासपुर । बिलासपुर में सरकारी प्रोजेक्ट इंडस्ट्रियल एरिया सेक्टर डी के लिए बिना प्लानिंग और बगैर जनसुनवाई के 10 करोड़ फूंक दिए गए। इलाका शराबखोरी और तमाम अपराधों का ठिकाना बन गया है। इस क्षेत्र का एंट्री पॉइंट भी विवादों में फंसा है। औद्योगिक क्षेत्र के लिए प्लान किए गए इस प्रोजेक्ट में अब कॉलोनियां बस गई हैं। सेक्टर-डी डेवलप करने का प्रोजेक्ट वर्ष 2000-01 में शुरू हुआ। तब योजना थी कि कुल 62 एकड़ जमीन उद्यमियों को देकर करीब 100 उद्योग स्थापित किए जाएं। इलाके के करीब बेतरतीब अवैध प्लॉटिंग भी जारी है। फंड खर्च करने की हड़बड़ी में 62 एकड़ का यह कथित औद्योगिक क्षेत्र अब ओपन बार बनकर रह गया है। प्लॉट बांटने के लिए सीएसआईडीसी ने आवेदन मंगाए। हजार से अधिक आवेदन आए भी।

सेक्टर-डी डेवलप करने का प्रोजेक्ट वर्ष 2000-01 में शुरू हुआ। 62 एकड़ जमीन पर 100 उद्योग स्थापित करने की योजना थी। प्लॉट बांटने के लिए सीएसआईडीसी ने आवेदन मंगाए। हजार से अधिक आवेदन आए भी। सीएसआईडीसी के मुताबिक अभी तक इस योजना में 8 करोड़ खर्च हो चुका है। सब स्टेशन बनाने में दो करोड़ खर्च हुए।

सेक्टर डी के लिए 30 मार्च 2017 को रायपुर की कंपनी ए टू जेड प्राइवेट लिमिटेड को टेंडर मिला। वर्क ऑर्डर 27 अगस्त 2018 को जारी किया गया। 4 करोड़ में सड़क, 1 करोड़ में नाली और 3 करोड़ से पोल, लाइटिंग और पानी सप्लाई की व्यवस्था पर खर्च किए गए हैं।

तमाम व्यवस्था जुटाने के बावजूद मुहाने के करीब 300 मीटर जमीन का विवाद नहीं सुलझाया जा सका। दरअसल, नेशनल हाइवे से सेक्टर डी को जोड़ने वाली सड़क के मुहाने पर निजी जमीन है। सीएसआईडीसी का कहना है कि मास्टर प्लान में यह जमीन सड़क के तौर पर दर्ज है, जबकि जमीन मालिक का दावा है कि यह उनकी निजी जमीन है।

सेक्टर डी में 100 उद्योग स्थापित करने की योजना थी, जिसमें 5 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलता। शहर में कई जरूरी सामान का उत्पादन होता, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों ने जमीन के विवाद को सुलझाने में रुचि ही नहीं दिखाई, नतीजा यह है कि अब यहां सेक्टर डी स्थापित करने की योजना पर पानी फिर गया है।

पूरे क्षेत्र में शराब के बोतल और पानी पाउच ही नजर आता है। दिन हो या रात हर समय असामाजिक तत्वों की मौजूदगी यहां रहती है। यहां सड़के बनने के बाद उखड़ने लगी है। खंभे से लाइटें गायब हो चुकी है।

सेक्टर डी को योजना के अनुरूप विकसित किया जाए, यहां ऐसे उद्योग ही स्थापित किए जाएं, जो प्रदूषण रहित हों।2. शहर के पास इस जगह को ऑक्सीजोन के तौर पर विकसित किया जा सकता है। घूमने के लिए जगह मिलेगी।3. नेचर पार्क के तौर पर इस जगह को विकसित किया जा सकता है, सबसे पहले इस जगह को सुरक्षित करना है।

एप्रोच रोड का विवाद

एप्रोच रोड के चलते प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ रहा है। फिलहाल मामला कोर्ट में है। इस प्रोजेक्ट में अब तक 8 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है। जहां तक सुनवाई की बात है तो शुरू में ही जनसुनवाई हुई होगी। -घनश्याम स्वर्णकार, ईई डिवीजन 1, सीएसआईडीसी, रायपुर

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सशर्त आवंटन हो

गैर प्रदूषणकारी लघु उद्योगों को ही जमीन दें, सशर्त एलॉटमेंट हो। ताकि आसपास की कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को प्रदूषण की परेशानी न हो। -हरीश केडिया, अध्यक्ष- लघु एवं सहायक उद्योग संघ

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