लेखक की कलम से

हुनर …

कुछ होने और कुछ दिखने का

गर हुनर जान गए होते

इस दुनिया में अपने भी

दुश्मन कम, यार बहुत होते

 

अपने मन से, अपनी भी परदादारी

हमसे ना हो पाएगी

जो खुद में भी दो –दो रक्खे

वो गैरों के क्या होगें

 

जिनके लिए जुटाती फिरती है दिनभर

दाना, पानी, तिनका सब

एक दिन फुर्र से उड़ जायेंगे

उस चिड़िया के दोनों बच्चे

 

मां, बेटी, पत्नी, बहना

में बट जाने के बाद बचो कुछ

तो थोड़ा सा अपना होना अपनी खातिर भी रखना

एक औरत के अपने भी तो होते होंगे कुछ सपने

 

©चित्रा पवार, मेरठ, यूपी                   

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