लेखक की कलम से

अर्थव्यवस्था को उम्मीदें 2020 से

विश्व के लगभग सभी देश में अर्थव्यवस्था की धीमी गति एक चिंता का विषय बन चुका है । ऐसे समय में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की मौजूदा विकास दर अपने 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर है, वर्तमान में विकास दर 4 .5 फीसद है । साल 2019 खत्म हो चुका और 2020  आ गया है । ऐसे समय में बजट और वित्त मंत्री के सामने चुनौतियां कम नहीं है। वर्तमान में जो अर्थव्यवस्था का हाल है , उसे से सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी।

भारत के सामने मंद अर्थव्यवस्था बढ़ती बेरोजगारी, वित्तीय घाटा एवं अन्य समस्या का   चिंता का विषय है । वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह साल चुनौती  पूर्ण है और इसका असर भारत पर काफी पड़ रहा है । भारत के कुछ सेक्टर को छोड़कर हर सेक्टर में गिरावट देखी गई है । कुछ सेक्टर की  बात करें तो कृषि की विकास दर 2018 -19 में 5 फीसद थी , अब 2019- 20 में 2.10 फीसद पर आ गई है। वहीं बात करें बिजली, गैस, जलापूर्ति विकास दर 2018- 19 में 7.7 फीसद थी जो अब गिरकर 6.1 फीसद पर आ गई है। फाइनेंसियल , रियल स्टेट , प्रोफेशनल सर्विसेज की विकास दर में भी गिरावट का दौर रहा है यह भी  2019-19 में जो 6.8 फीसद थी, वहीं 2019 -20 में 5.9 फीसद पर आ गयी है।

हालांकि खनन की विकास दर में सुधार देखा गया है । कुल मिलाकर कहें तो इस साल वित्त मंत्री के सामने  चुनौतियां ही चुनौतियां हैं । भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6 साल में सबसे निचले स्तर पर रहा है। निजी खपत और निर्यात के साथ निवेश पर भी काफी असर पड़ा है । अगर बात करें घरेलू खपत की तो जीडीपी में इसका 60 फीसद हिस्सा है।

ऐसे समय में देश में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या भी रुकने का नाम नहीं ले रही है। मई 2019 में सरकार ने माना है कि भारत में बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे ज्यादा है। अगर बात करें हम तो जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच बेरोजगारी दर 6.1 फीसद थी। संगठित और असंगठित क्षेत्रों में बेरोजगारी के आलम देखने को मिले हैं ।

भारत में असंगठित क्षेत्र में 94 फीसद रोजगार के अवसर पैदा होते हैं,और ये देश की अर्थव्यवस्था में 45 फीसद का योगदान  देते है । लेकिन असंगठित क्षेत्र भी  मंदी का मार झेल रहा  है। हालांकि असंगठित क्षेत्र के आंकड़े सरकार रिपोर्ट में शामिल नहीं करती है । विश्व में कई ऐसे देश जहां पर वह अपने वर्क फोर्स की खेती से कंट्रक्शन की ओर ले जाते जहां पर रोजगार की संभावना बढ़ती है ।

हालांकि 10 सालों में कंस्ट्रक्शन 12.8 फ़ीसदी से घटकर 5.7 फ़ीसदी हो गया है और इसकी विकास दर 13.4 से घटकर 6.5 फ़ीसदी हो गई है । भारत को संगठित और असंगठित क्षेत्रों पर बराबर ध्यान देना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह बाहरी निवेश के जगह  घरेलू निवेश को बढ़ाना चाहिए । ग्रामीण इलाकों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा जोर देना होगा।

साल 2018 तक भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहा है, जिसमें साल 2016 में विकास की दर 9.4 फ़ीसदी तक थी । हालांकि 2020 उतना बेहतर नहीं दिख रहा क्योंकि जो भी कदम उठाए गए हैं उनका असर कम होगा । साल 2016 में हुई नोटबंदी का असर अब भी अर्थव्यवस्था पर है और उसके बाद जीएसटी लागू करना और दुनिया भर में आर्थिक विकास के माहौल से भी मदद नहीं मिली । इन दोनों का असर अभी वैसे बना है , जैसे पहले था।

इन सभी समस्या से निजात पाने के लिए सरकार को चाहिए की वो एक ऐसा कदम उठाए  जो ग्रामीण इलाकों में भी लोगों को रोजगार मिलते रहे जिस से उनके समस्या से निजात मिलता रहे और जब उनके हाथों में पैसा आएगा तो वो पैसा सीधा बाजार में जायेगा अर्थवयवस्था रन करने लगेगी । हेल्थ , शिक्षा पर ज्यादा जोर देना चाहिए। जिससे बड़े पैमाने पे रोजगार मिलेगा । किसी भी देश की उन्नति और विकास इस बात पर निर्भर होते हैं कि वह देश आर्थिक दृष्टि से कितनी प्रगति कर रहा है तथा औद्योगिक दृष्टि से कितना विकास कर रहा है।

©अजय प्रताप तिवारी चंचल, इलाहाबाद

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