लेखक की कलम से

जाना है मुलुक मगर डगर मुश्किल है …

✍संदीप सोनवलकर

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लाकडाउन के कारण फंस गये प्रवासी मजदूरों को वापस लाने का ऐलान तो कर दिया है लेकिन मायानगरी मुंबई और उसके आसपास फंसे करीब दस लाख मजदूरों को ले जाना आसान नहीं है। जानकारों का मानना है कि ये ऐलान तो कर दिया है लेकिन इसकी कोई तैयारी नहीं दिखती है।

प्रदेश कांग्रेस के सचिव जाकिर हुसैन के अनुसार जब तक रेलवे शुरु नहीं होती तब तक मजदूरों को वापस ले जाना संभव नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सबसे पहले रेलवे शुरु करने पर ही ध्यान देना होगा। मुंबई से करीब 17 ट्रेन रोज उत्तरप्रदेश जाती है। आमतौर पर एक ट्रेन में सात हजार यात्री प्रवास कर सकते हैं। अगर ये सारी ट्रेनें भी चलायी जायें तो कम से कम एक महीने का समय लगेगा। इसलिए स्पेशल ट्रेन चलानी होगी।

अभी तक रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्रेन सेवा चालू करने का कोई संकेत नहीं दिया है। मध्य रेलवे के अफसरो के अनुसार तीन मई तक अभी कोई बुकिंग नहीं चालू करने कहा गया है। रेल सेवा चालू करने पर भीड़ का नियंत्रण, ट्रेन में सोशल डिस्टेंसिग जैसे मुददे भी सामने आयेंगे।

हालांकि बीजेपी महामंत्री अमरजीत मिश्र का कहना है कि यूपी सरकार स्पेशल ट्रेन चलवाने का प्रयास कर रही है। उनका ये भी कहना है कि अगर मजदूरों के लिए ट्रेन की व्यवस्था हो जाती है तो उनको भोजन का इंतजाम मुंबई की सामाजिक संस्थाओं की तरफ से किया जा सकता है। उनका कहना है कि पहले चरण में केवल मजदूरों को ही वापस जाने का इंतजाम होना चाहिये। ऐसे लोगो को नहीं जाना चाहिये जिनका मुंबई में घर है और जो गुजारा कर सकते हैं। वो लोग मई के बाद जा सकते है। तब तक मुंबई से गये मजदूरो को क्वारान्टाइन में रखा जाना चाहिये। उनकी जांच भी वहीं पर हो। अमरजीत मिश्र का ये भी कहना है कि अब तक महाराष्ट्र सरकार की तरफ से भी कोई प्लान सामने नहीं आया है।

मुंबई में यूपी सरकार की तरफ से विमलेश कुमार को नोडल अफसर बनाया गया है। उनका कहना है कि सरकार कई विकल्पों पर काम कर रही है और जल्दी ही मजदूरो की वापसी की शुरुआत की जायेगी। उत्तर भारतीय समाज से जुडे लोगों का मानना है कि मुंबई और उसके आसपास रहने वाले मजदूरों को बस से भेजना संभव नहीं क्योंकि कम से कम दो दिन का सफर होगा जिसमें गर्मी के चलते इतना लंबा सफर करना आसान नहीं होगा।

स्वास्थ्य सेवाओं से जुडे लोगों का मानना है कि जब तक फिजिकल दूरी और पूरी जांच के साथ क्वाराईँटन का इंतजाम न हो तब तक बडी संख्या में मजदूरों का जाना खतरा पैदा कर सकता है। डा पायल उबाले के अनुसार अगर गांवों में कोरोना चला गया तो उनकी ट्रेकिंग और फिर इलाज राज्य सरकार की मुशकिलों को बढा सकता है।

अंधेरी में एक ट्रेवल कंपनी चला रहे शुभांशु दीक्षित का कहना है कि सरकार को यूपी के लोगों को निजी वाहनो से वापसी की अनुमति देना चाहिये और उसके लिए पास देना चाहिये। इससे लोग फिजिकल डिस्टेंटिंग बनाते हुए वापस जा सकते हैं लेकिन अमरजीत मिश्र इससे सहमत नहीं। उनको लगता है कि ऐसे में वो लोग चले जायेंगे जो यहां भी रह सकते हैं। असल समसया तो मजदूरों की वापसी की है। इस बीच मुंबई के आसपास के इलाकों से कई ऐसी खबरें आ रही है कि लाकडाउन में भुखमरी का शिकार हो रहे कई मजदूर पैदल ही वापस निकल रहे हैं। ऐसे ही चार मजदूर कल कसारा घाट के जंगलों में फंस गये थे।

Back to top button