लेखक की कलम से

खुशियों के पल …

 

यदि चाहते हो खुशी के पलों को तो

वो तुमको खुद ही अंतर्मन में तलाशने होंगे

कभी बेवजह मुस्कुरा कर के देखो

खुशी के पल हर पल संग होंगे

 

कभी भूखे को रोटी खिला कर के देखो

खुशियों की महक से महक हम उठेंगे

कभी बेवजह ….

 

कभी रोते बच्चे को हंसा करके देखो

इंद्रधनुष से सतरंगी सपने संग होंगे

कभी बेवजह….

 

कभी बुजुर्गों की दुआएं लेकर के देखो

हर पल संग तुम्हारे ईश्वर भी होंगे

कभी बेवजह…

 

कभी गरीब की मदद करके तो देखो

दुआओं के खजाने भर भर मिलेंगे

कभी बेवजह….

 

कभी पंछियो को दाना चुगा करके तो देखो

कलरव अति सुंदर चहुंओर होंगे

कभी बेवजह…

 

कभी गरीब की बेटी को ब्याह करके तो देखो

सारे स्वर्ग जन्नत यहीं घर में होंगे

कभी बेवजह…

 

कभी हुनरमंद बच्चे को शिक्षित करके तो देखो

प्रगति के नए नए सोपान होंगे

कभी बेवजह…

 

कभी निस्वार्थ दान करके तो देखो

सुकून हजारों तुम्हारे दिलों में होंगे

कभी बेवजह…

 

यदि चाहते हो खुशी के पलों को तो

वो तुमको खुद ही अंतर्मन में तलाशने होंगे

कभी बेवजह मुस्कुरा कर के देखो

खुशी के पल हर पल संग होंगे

 

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

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