मध्य प्रदेश

इंदौर में भगवान को भी लग रही है ठंड, पूरा गणेश परिवार दिख रहा गर्म कपड़ों में

खजराना गणेश मंदिर में पूरे विधि-विधान के साथ भगवान को पहनाए गए गर्म कपड़े

इंदौर। मध्यप्रदेश में अब ठंड बढ़ने लगी है। इसके चलते की इंदौर में भी लोगों को दिन में भी गर्म कपड़े पहनना पड़ रहा है। ठंड का असर मंदिरों में भी दिखाई दे रहा है और भगवान को भी गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं। बुधवार को खजराना स्थित गणेश मंदिर में पूरे गणेश परिवार को विधि-विधान के साथ गर्म कपड़े पहनाए गए।
मध्यप्रदेश में ठंड का असर बढ़ने लगा है। भले ही तापमान में उतार-चढ़ाव जारी हो, ठंडी हवाओं के थपेड़े परेशान करने लगे हैं। यही कारण है कि खजराना गणेश मंदिर में पूरे गणेश परिवार को गर्म कपड़े पहनाए गए हैं। बुधवार को जब भगवान गणेश के दर्शनों के लिए श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे तो उन्हें भगवान कुछ अलग ही अंदाज में नजर आए। खजराना गणेश मंदिर इंदौर और मध्यप्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में अपनी खास पहचान रखता है। खजराना गणेश मंदिर के पुजारी अशोक भट्ट ने बताया कि ठंड के मौसम में हर साल हम भगवान को गर्म वस्त्र पहनाते हैं। बुधवार को सुबह की पूजा से पहले पट बंद किए गए। भगवान को गर्म वस्त्र पहनाए गए। पूजा के बाद मंदिर पहुंचे भक्तों को गणेश और रिद्धि-सिद्धि गर्म वस्त्रों में नजर आए।
पारे में उतार-चढ़ाव जारी, शहर में दिखाई दी धुंध
इंदौर में भले ही पारे में उतार-चढ़ाव जारी हो, ठंड अपना असर दिखाने लगी है। बुधवार सुबह धुंध छाई रही। दृश्यता भी दो हजार मीटर तक पहुंच गई। उत्तर-पूर्वी हवाएं पांच से छह किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चली। मंगलवार रात में बादल रहने के कारण न्यूनतम तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी हुई। बुधवार सुबह न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री दर्ज हुआ, जबकि मंगलवार को अधिकतम तापमान 26.9 डिग्री रहा। मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को अधिकतम तापमान में एक से दो डिग्री की गिरावट देखने को मिलेगी। मंगलवार को भी दिनभर धुंध का असर शहर पर रहा। क्षेत्रीय मौसम केंद्र के अनुसार फिलहाल इंदौर के वातावरण में नमी व धूल की परत कायम रहेगी। रविवार के बाद ठंडक धीरे-धीरे बढ़ने लगेगी।
ये है खजराना गणेश मंदिर का इतिहास
इंदौर शहर और आसपास के अन्य शहरों के नागरिकों को खजराना मंदिर में बहुत विश्वास है। यह मंदिर बहादुर मराठा रानी अहिल्याबाई होलकर ने बनवाया था। बुधवार, रविवार एवं अवकाश के दिनों में यहां विशाल संख्या मे श्रद्धालु दर्शन करने मंदिर में आते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार मंदिर में पूजा करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर को सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है। मंदिर का प्रबंधन भट्ट परिवार करता है। ऐसा माना जाता है कि औरंगजेब से मूर्ति की रक्षा करने के लिए मूर्ति को एक कुएं में छिपा दिया गया था। 1735 में इसे कुएं से निकाल लिया गया और 1735 में मंदिर की स्थापना अहिल्याबाई होलकर ने की थी। पिछले कुछ वर्षों में मंदिर का काफी विकास हुआ है। यह एक छोटी झोपड़ी से एक विशाल मंदिर और शहर के सबसे प्रतिष्ठित मंदिर के रूप में विकसित हुआ है।

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