मध्य प्रदेश

सेंट्रल जेल की निलंबित सुपरिटेंडेंट के लॉकर ने उगला 3 किलो सोना, डायमंड ज्वेलरी, एफडी और प्रॉपर्टी के पेपर्स भी मिले

डीपीएफ घोटाला: जेल के 100 कर्मचारियों के खाते से 15 करोड़ के गबन का मामला

उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन केंद्रीय जेल में कर्मचारियों के करोड़ों के डीपीएफ घोटाले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने आरोपी निलंबित जेल सुपरिटेंडेंट उषा राज का बैंक लॉकर खुलवाया। सेठी नगर स्थित बैंक ऑफ इंडिया स्थित लाकर से करीब तीन किलो सोना, डायमंड ज्वेलरी, एफडी और प्रॉपर्टी संबंधी कई दस्तावेज पुलिस को मिले हैं। गुरुवार रात तक लॉकर की सर्चिंग की गई, जिसमें ये बड़ी रिकवरी हुई है। मामले में डीपीएफ के अलावा पे-बिल सहित कई तरह की गड़बड़ी सामने आई है। कोर्ट से उषा राज के लॉकर खोलने की अनुमति मिलने के बाद भी पुलिस को कई घंटे बैंक में जद्दोजहद करनी पड़ी।

एसआईटी में अभियोजन अधिकारियों को भी किया शामिल

हालांकि, पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपी उषा राज ने अभी तक पुलिस पूछताछ में कुछ खास जानकारी नहीं दी है। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी में अभियोजन अधिकारियों को भी शामिल किया गया है। इसमें उप संचालक अभियोजन डॉ. साकेत व्यास,‎ एडीपीओ नीतेश कृष्णन और उमेशसिंह सेंगर भी शामिल हैं। एसपी‎ सचिन शर्मा के निर्देश के बाद केस डायरी‎ तैयार करने में अभियोजन पक्ष मजबूत रहे व‎ कोई कमी न रह जाए, इसलिए अब‎ एसआईटी में अभियोजन अधिकारी भी हर‎ पहलू को विधि अनुसार कागजी प्रक्रिया से‎ मजबूत कराएंगे। उषा राज की 8 अप्रैल को रिमांड खत्म होने जा रही है। पुलिस लॉकर में मिले ज्वेलरी और प्रापर्टी के दस्तावेजों का आज दोपहर तक खुलासा कर सकती है।‎

बंदी से जबरिया वसूली का आरोपी जेल प्रहरी देवेंद्र रायसेन से‎ गिरफ्तार

इधर, जेल में बंदियों से जबरिया वसूली के आरोप में फरार जेल‎ प्रहरी देवेंद्र चौहान को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।‎ वह रायसेन में अपनी बहन के यहां जाकर फरारी काट रहा था।‎ सीएसपी अनिल मौर्य ने गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेश करने पर जेल प्रहरी देवेंद्र और‎ जगदीश परमार का एक दिन का रिमांड मिला है। उनसे भी पूछताछ की जा रही है।

पांच साल में सौ कर्मचारियों के पीएफ से निकाल लिए 15 करोड़ रुपए

ज्ञात हो, केंद्रीय जेल भैरवगढ़ के कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट में सेंधमारी का मामला सामने के बाद जांच शुरू की गई। अब तक की जांच में करीब 100 कर्मचारियों के खाते से फर्जी तरीके से राशि निकालने की पुष्टि हुई है। जांच में सामने आया कि न तो पीड़ितों ने पीएफ निकालने के लिए आवेदन किया, न ही दस्तखत किए, फिर भी उनके पीएफ अकाउंट से पैसे निकल गए। ट्रेजरी के अफसर के अफसर ने इस गबन को पकड़ा, जिसके बाद से मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। जेल अकाउंटेंट द्वारा अपने दो जेल प्रहरी साथियों के साथ पिछले 5 साल से जेल कर्मचारियों के पीएफ अकाउंट से फर्जी तरीके से 15 करोड़ रुपए निकाले गए।

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