लेखक की कलम से

योग भगाए रोग …

योग का सामान्य अर्थ है जोड़। स्वस्थ शरीर और शांत मन का संगम। पुरातन काल से ही योग भारतीय संस्कृति का एक विशिष्ट अंग रहा है। शरीर को चुस्त दुरुस्त बनाए रखने के साथ साथ रोगमुक्त रखना योग का ही काम है।

योग को अपनाने से कई असाध्य रोगों को शरीर से दूर भगाया जा सकता है। इंद्रियों को नियंत्रित किया जा सकता है। वर्तमान समय में जीवन की जटिलता से उत्पन्न तनाव को ख़त्म करने का सर्वोत्तम उपाय योग है। आज़ आधुनिक युग में भांति भांति के व्यायाम लोग करते हैं लेकिन योग का परिणाम उन सबसे हटकर है।दूसरे व्यायाम केवल शरीर को ही स्वस्थ रखते हैं जबकि योग शरीर के साथ साथ मन को भी स्वस्थ रखता है। शांत चित्त से हम सर्वश्रेष्ठ कार्य कर सकते हैं। वर्तमान परिस्थितियों में खुद को स्वस्थ एवम् तनाव मुक्त रखना हमारा सबसे बड़ा दायित्व बन चुका है।

आसन और प्राणायाम योग के दो अभिन्न अंग हैं। शरीर के सभी अंगों के लिए अलग अलग आसन हैं। स्वास प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने का आसान तरीका प्राणायाम है। मन और मस्तिष्क की ताज़गी बनाए रखने के लिए नियमित प्राणायाम करना चाहिए। नियमित रूप से योग करने पर शरीर में रक्त प्रवाह संतुलित रहता है। पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन शरीर के भीतर जाती है और बीमारियों से बचाव की हमारी सामर्थ्य बढ़ती है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का उद्देश्य, समस्त संसार को योग के प्रति जागरूक बनाए रखना है। प्राचीन समय में बचपन से ही बच्चों को योग का महत्व बताया जाता था। गुरुकुल में प्रत्येक विद्यार्थी को प्रातः काल उठकर योग करना अनिवार्य था। यही कारण था कि विद्यार्थी बड़े होकर अच्छे नागरिक बनने के साथ साथ समाज कल्याण के कार्यों में भी स्वयं को लगाकर रखते थे। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में वही विद्यार्थी सक्रिय रहते हैं, जिनकी खेलकूद में अधिक रुचि होती है।

सभी विद्यार्थियों के लिए योग की अनिवार्यता नहीं है। यही कारण है कि छोटे छोटे बच्चे भी मोटापे का शिकार होकर बीमार हो रहे हैं। मधुमेह और रक्त चाप की बीमारी बच्चों को भी लगातार हो रही है। इसलिए सभी विद्यालयों में  प्रतिदिन योग करना छात्रों के लिए अनिवार्य होना चाहिए। छात्र स्वस्थ एवम् निरोगी होंगे तो  तनाव से बचे रहेंगे और जीवन में आने वाली परेशानियों से घबराकर अवसाद ग्रस्त नहीं होंगे।

आइए इस योग दिवस पर हम सभी यह संकल्प करें कि स्वयं योग करने के साथ साथ हम दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। तभी हमारा परिवार, समाज, देश और यह संपूर्ण विश्व रोग मुक्त हो पाएगा और कोरोना जैसी महामारी को फिर से पांव पसारने का अवसर नहीं मिलेगा।

 

©अर्चना त्यागी, जोधपुर                                                  

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