मध्य प्रदेश

चौहान ने कहा- अच्छा काम करने वालों को कंधे पर लेकर नाचूंगा ….

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को अच्छा काम करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि जो भी अच्छा काम करेगा, मैं उसे कंधे पर लेकर नाचूंगा। सीएम ने अफसरों को एक्टिव रहने का मंत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि ‘पांव में चक्कर, मुंह में शक्कर, सीने में आग और माथे पर बर्फ लेकर चलना होगा।’

सीएम शिवराज सिंह जल जीवन मिशन के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान पानी की समस्या को लेकर उन्हें अपना बचपन याद आ गया। उन्होंने बताया कि कैसे वो बैलगाड़ी से कई बार पानी की कोठी भरने जाते थे। उन्होंने ये भी कहा कि कई बार तो पानी के चक्कर में नहाने के लिए भी सोचते थे। जल जीवन मिशन के सोशल ऑडिट एप के लॉन्चिंग अवसर पर गुरुवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान को अपना बचपन याद आ गया। वे बोले- मैं बुधनी से कई बार से विधायक हूं। बचपन में बैलगाड़ी से कई बार पानी की कोठी भरने जाते थे। जिंदगी का आधा हिस्सा पानी भरने और पानी की व्यवस्था करने में ही चला जाता। कितना पानी पीना है, कितने से नहाना है। कई बार तो पानी के चक्कर में नहाने के लिए भी सोचते थे। मन में विचार आया कि पानी को व्यवस्थित किया जाए, और फिर 2012 में जल निगम बनाया।

भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में सीएम ने कहा- कार्यशाला में तनाव मुक्त होकर आराम से बैठें। यह अपने परिवार की बैठक है। मैं कोई टेक्निकल आदमी नहीं हूं। मैं मुख्यमंत्री के दम पर अहंकार से भरा हुआ व्यक्ति नहीं हूं। मेरी मान्यता है कि काम करने वाला मुख्यमंत्री हो या हमारे विभाग का काम करने वाला छोटा कर्मचारी, या फिर नीचे का अमला हो… सब मिलकर परिणाम प्राप्त करते हैं। पानी के महत्व को हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं। पानी हमारी जिंदगी है। हमें ऑप्शन के बाद अगर सबसे ज्यादा जरूरत होती है तो पीने के पानी की।

मैं गांव में पैदा हुआ। मेरा गांव नर्मदा जी के तट पर है, इसलिए पानी की कमी नहीं रही। गांव में न नल था, न हैंडपंप। पीने का पानी नर्मदा जी से भरकर लाते थे। बाढ़ आने पर पानी मटमैला हो जाया करता था। ऐसे में पानी को भरकर रख देते थे। दो-तीन दिनों में जब मिट्‌टी बैठ जाती तो उसे छानकर पीने के लिए उपयोग में लेते थे। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित खमरिया गांव को याद करते हुए बताया- महिलाएं यहां 3-4 बजे सुबह उठ जाती थीं। इसके बाद कुएं से पानी भरने की होड़ मचती थी, क्योंकि थोड़ी देर में ही पानी खत्म हो जाया करता था।

सीएम ने कहा- मुख्यमंत्री बना तो तीन चीजों पर काम किया। पहला सड़कों के गड्ढे ठीक करवाए। दूसरा खेती और पीने का पानी, तीसरा बिजली की व्यवस्था सुधारवाई। वे बोले- फिर मैंने तय किया कि समूह पेयजल योजना बनाओ। एक बड़ी दूरी से पानी लाओ, ओवरहेड टैंक बनाओ, टंकियां बनाओ और कई गांव में एक साथ पानी सप्लाई करने की व्यवस्था करो। घर-घर पानी पहुंचाओ। एकल योजनाएं कई जगह सफल हुईं और कई जगह असफल भी हुईं। सीएम बोले- बीच में दूसरी सरकार आने के कारण हमारा सवा साल बर्बाद हो गया।

जिंदगी किस काम की, अधिकतम 100 साल जीएंगे। हो सकता है 70-80 साल तक। रिटायरमेंट की उम्र तो इससे भी कम है। इसलिए काम ऐसा करो कि लोग याद रखें। बुरहानपुर ने इतिहास रच दिया, अगले साल तक नल से हर घर को शुद्ध जल मिलेगा। इतिहास रचने का सौभाग्य सिर्फ पीएचई के वर्तमान अधिकारी-कर्मचारियों को मिला है। हम ऐसा काम करेंगे कि जमाना याद रखेगा। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अच्छा काम करने की नसीहत देते हुए कहा- जो भी अच्छा काम करेगा, मैं उसे कंधे पर लेकर नाचूंगा। सीएम ने पीएचई विभाग के अफसरों को मंत्र देते हुए कहा- ‘पांव में चक्कर, मुंह में शक्कर, सीने में आग और माथे पर बर्फ लेकर चलना होगा।’

पीएचई राज्यमंत्री बृजेंद्र सिंह यादव बोले- 2024 तक हर घर को नल का जल उपलब्ध कराएंगे। अब तक 53 लाख परिवारों को नल का कनेक्शन दे चुके हैं। मध्य प्रदेश के सभी विभागों में से सबसे बड़ी जिम्मेदारी पीएचई विभाग के ऊपर है। हमें हर घर को नल का जल उपलब्ध कराना है। छिंदवाड़ा में फ्लोराइड की शिकायत आई थी। हमें गुणवत्ता के अनुरूप पानी देना है, जिन जिलों में इस प्रकार की समस्या है। वहां विशेष ध्यान देना चाहिए। पीएचई विभाग के एसीएस मलय श्रीवास्तव ने इस दौरान बुरहानपुर कलेक्टर प्रवीण सिंह की तारीफ की। श्रीवास्तव ने कहा कि बुरहानपुर कलेक्टर ने हर घर नल से जल देने की योजना पर बेहतरीन प्लानिंग के साथ काम किया है। मुझे 35 साल में पहली बार पानी उपलब्ध कराने वाले प्रोजेक्ट में काम करके संतुष्टि मिली है।

कांग्रेस के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के बकरे वाले बयान पर सीएम शिवराज सिंह चौहान ने तंज कसा है। वे बोले- उनके मुंह से सच निकल गया। कांग्रेस को पता है 2023 और 2024 में कुछ मिलना जुलना तो है नहीं। जो पदयात्रा कर रहे हैं, वो अध्यक्ष बने नहीं। कोई एक व्यक्ति चाहिए था, किसकी बलि चढ़ाएं। इसलिए खड़गे साहब को उन्होंने चुना है। इसलिए शायद उनके मुंह से बलि और बकरा जैसे शब्द निकल रहे हैं।

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