मध्य प्रदेश

पीएम मोदी को बुलाओ, धार्मिक कार्यक्रम कराओ, महाकाल लोक को सरकारी ईवेंट बता पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा पर साधा निशाना …

भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सोमवार को भाजपा की सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने मंगलवार को होने वाले उज्जैन महाकाल लोक के कार्यक्रम के बारे में कहा कि यह सरकारी कार्यक्रम है। मैंने महाकाल के लिए जो किया, वह सब रिकार्ड में है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। भाजपा के लोग हर एक चीज का श्रेय लेना चाहते हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने महाकाल कॉरिडोर के इतने बड़े आयोजन के बारे में कहा कि यह ईवेंट सरकारी कार्यक्रम है। मैंने जो महाकाल के लिए किया वो रिकार्ड में हैं। जनता सब समझने लगी है। अब तक उन्होंने यह नहीं कहा कि जो कर्जा माफ हुआ वो हमने किया था। कांग्रेस सरकार आने के प्रश्न पर उन्होंने कहा कि हमारी सरकार निश्चित तौर पर आ रही है, हम कर्जमाफी की अगली किश्त जारी करेंगे, किसानों को उचित समय पर मुआवजा देंगे, आज किसान परेशान है, फसल का मुआवजा नहीं मिल रहा।

आज हर वर्ग परेशान है, युवाओं को लाठी मारी जा रही है, डाक्टर, बेरोजगार, गरीब, महिलाएं, नौजवान हर वर्ग आज सड़क पर है। नाथ ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री था तब मैंने श्रीलंका के प्रतिनधियों से बैठक कर मंदिर बनाने का स्थान तय किया था। इसी बात का मुझे दुख है कि जो हमने शुरुआत की थी, उसे हम पूरा नहीं कर पाए। जनता सब जानने लगी है। यह लौग बौखला गए हैं, इसलिए कभी प्रधानमंत्री को बुलाओ और धार्मिक कार्यक्रम करो।

मध्यप्रदेश में बढ़ते नशे के कारोबार पर सरकार के एक्शन पर नशे में कहा कि हुक्का लाउंज को बंद करा दिया गया, चुनाव के पहले उन्हें यह सब नजर आता है। वे खुद नशे में हैं। जब चुनाव का समय आता तो इसका नशा थोड़ा दूर हो रहा है। लेकिन, चुनाव तक अगले 11 माह इसी नशे में रहेंगे। कमलनाथ ने कहा कि वे नशे के खिलाफ एक समिति बनाएंगे।

कमलनाथ ने समाजवादी पार्टी के संस्थापक एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन पर कहा कि मुलायम सिंह से मेरे बहुत पुराने संबंध रहे हैं, वे एक राजनीतिक व्यक्ति नहीं बल्कि सही मायने में एक समाजसेवी थे, मैंने उनसे काफी सीखा है, मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

नाथ ने कहा कि वे केवल एक राजनीतिक व्यक्ति ही नहीं, समाजसेवक भी थे। उनसे मैंने बहुत कुछ सीखा है। मैं जब संसदीय कार्यमंत्री था तब हर सप्ताह मैं तीन-चार बार शाम को उनके साथ बैठता था। आज वो हमारे बीच नहीं रहे। समय सबका आता है, लेकिन यह स्वीकार करना बहुत मुश्किल होता है।

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