मध्य प्रदेश

एमपी पुलिस के लिए पहली बार व्यापक स्तर पर हुआ सीपीआर प्रशिक्षण, प्रदेश के 250 से अधिक स्थानों पर 22000 से अधिक पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने सीखा सीपीआर देना

सभी आईजी, डीआईजी, पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट व अन्य अधिकारी रहे प्रशिक्षण में उपस्थित, डीजीपी ने भी लिया प्रशिक्षण में भाग

भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग द्वारा नवाचार करते हुए शनिवार 25 फरवरी को सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए पहली बार व्यापक स्तर पर सीपीआर प्रशिक्षण आयोजित किया गया। प्रदेश के सभी जिलों और वाहिनी मुख्यालयों सहित समस्त पुलिस इकाइयों में यह आयोजन किया गया। भोपाल में नेहरू नगर स्थित पुलिस लाइन परिसर में आयोजित सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में पुलिसकर्मियों के प्रोत्साहन के लिए पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना उपस्थित रहे और उन्होंने भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रदेश के सभी आईजी, डीआईजी, पुलिस अधीक्षक, कमांडेंट व अन्य अधिकारी भी प्रशिक्षण में उपस्थित रहे।

इस आयोजन के लिए एक सप्ताह पूर्व से प्रदेशभर के सभी जिलों और वाहिनी मुख्यालयों में पुलिस अधीक्षकों और कमांडेंट द्वारा व्यापक स्तर पर तैयारियां प्रारंभ कर दी गई थी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, रेडक्रॉस और निजी चिकित्सालयों के चिकित्सकों से समन्वय स्थापित किया गया साथ ही पुलिस अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके परिवारजनों को सीपीआर की उपयोगिता से अवगत करवाकर इस प्रशिक्षण में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया गया। सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में सर्वप्रथम सभी उपस्थित पुलिसकर्मियों और उनके परिवारजन को सीपीआर के महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया और सीपीआर की प्रक्रिया डमी के माध्यम से समझाई गई। इसके पश्चात एक्सपर्टस ने सभी जिलों और वाहिनी मुख्यालयों में पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सावधानीपूर्वक सीपीआर देने का प्रशिक्षण दिया। प्रदेश भर के 250 से अधिक स्थानों पर आयोजित इस सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में 22000 से अधिक पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों ने सहभागिता की। भोपाल में आयोजित सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीजीपी सक्सेना ने प्रथम प्रशिक्षु के रूप में प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण रेडक्रॉस के डॉ.एसके शर्मा ने दिया। कार्यक्रम के दौरान रक्षित निरीक्षक दीपक पाटिल को सीपीआर देकर जीवन रक्षा करने वाले अमन और दो पुलिस आरक्षकों सोनू सिंह व भीम सिंह को डीजीपी सक्सेना द्वारा प्रशस्ति-पत्र प्रदान किए गए।

क्या है सीपीआर, क्यों है इसकी महत्ता

सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटैशन) एक बहुत महत्वपूर्ण प्रारंभिक उपचार प्रक्रिया है, जो किसी भी घटना/दुर्घटना में पीडि़त व्यक्ति को राहत पहुंचाने अथवा अमूल्य जीवन को बचाने में सहायक सिद्ध हो सकती है। सीपीआर वह प्रक्रिया है, जिसे हृदय गति रुक जाने पर अपनाया जाता है। इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचती है, जिससे हृदय गति पुन: शुरू हो सकती है। सीपीआर के प्रयोग से हार्ट अटैक आने पर, हाइपोवॉल्मिक शॉक होने पर, बेहोश होने पर या बिजली का झटका लगने पर या कमजोर दिल वाले व्यक्ति को बचाया जा सकता है। सीपीआर जैसी महत्वपूर्ण प्रारंभिक प्रक्रिया के इस प्रशिक्षण से समय रहते पीडि़त व्यक्ति की सहायता कर उनका जीवन बचाया जा सकेगा।

समाजहित में महती भूमिका निभाएगा प्रशिक्षण : डीजीपी

नेहरू नगर स्थित पुलिस लाइन में आयोजित कार्यक्रम में पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना ने कहा कि सीपीआर का सही ज्ञान और सही समय पर प्रयोग मरीजों की जीवन रक्षा की दिशा में पहला कदम है। यदि किसी व्यक्ति की हृदय गति रुक जाए तो हॉस्पिटल पहुंचने के दौरान सीपीआर जीवन रक्षक की तरह काम करती है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण 29 जनवरी को  राजधानी भोपाल के ओल्ड कैंपियन मैदान पर देखने को मिला, जब अन्य साथियों के साथ क्रिकेट खेल रहे रक्षित निरीक्षक दीपक पाटिल को अचानक हार्ट अटैक आने पर वहां उपस्थित पुलिसकर्मियों ने उन्हें तत्काल सीपीआर देकर उनकी जान बचाई्। इसी घटनाक्रम से प्रेरणा लेकर मैंने प्रत्येक पुलिसकर्मी और उनके परिजन को सीपीआर प्रशिक्षण देने के इस कार्यक्रम के आयोजन का विचार किया। यह प्रशिक्षण समाज हित में महती भूमिका निभाएगा। प्रत्येक पुलिसकर्मी को इसका प्रशिक्षण लिए जाने की अत्यंत आवश्यकता है ताकि जरूरतमंदों को मौके पर ही राहत पहुंचाई जा सके। इसी उद्देश्य से प्रदेशभर के सभी जिलों, वाहिनी मुख्यालयों और यहां पुलिस लाइन में सीपीआर प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है। यदि प्रत्येक व्यक्ति सीपीआर देना सीख जाएं तो ह्रदयाघात से पीडि़त अधिकांश लोगों की जान बचाई जा सकती है।

डीजीपी बोले- सीपीआर प्रशिक्षण एक मानवीय प्रयास

डीजीपी सक्सेना ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक आयोजनों या घटना-दुर्घटना के समय पुलिस बल के अधिकारी और कर्मचारी ही जीवन रक्षक के रूप में वहां सर्वप्रथम उपस्थित रहते हैं। सीपीआर जैसी महत्वपूर्ण प्रारंभिक प्रक्रिया का प्रशिक्षण प्राप्त करने पर आप पीडि़त व्यक्ति की तुरंत सहायता कर सकते हैं। मरीज को अगर गोल्डन टाइम में सीपीआर मिल जाए तो निश्चित ही उसकी जान बचाई जा सकती है। सीपीआर का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पुलिसकर्मियों और समाजजनों के हित में किया जा रहा एक मानवीय प्रयास है। आमजन के लिए भी इस तरह के कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाते रहना चाहिए ताकि सभी लोग स्वास्थ्य रक्षा के प्रति सजग और जागरूक हो सकें।

सीपीआर से इन्हें मिला नया जीवन

रक्षित निरीक्षक को पड़ा दिल का दौरा पुलिसकर्मियों ने दिया सीपीआर : राजधानी भोपाल के ओल्ड कैंपियन मैदान पर 29 जनवरी 2023 को अन्य पुलिसकर्मियों के साथ क्रिकेट खेल रहे रक्षित निरीक्षक दीपक पाटिल को अचानक दिल का दौरा पड़ा। वह सीने में दर्द के कारण जमीन पर गिर पड़े। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें तत्काल सीपीआर देना शुरू कर दिया। सीपीआर मिलने से आरआई दीपक पाटिल की सांसें दोबारा चलने लगी। इसके बाद पुलिसकर्मी उन्हें नजदीक के अस्पताल ले गए। अस्पताल में कुछ दिन भर्ती रहने के बाद वे अब पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं।

महिला पुलिसकर्मी ने सीपीआर देकर बचाई बुजुर्ग की जान : ग्वालियर में एक महिला पुलिसकर्मी ने समय पर एक बुजुर्ग को सीपीआर देकर उनकी जान बचाई और समय पर उन्हें अस्पताल पहुंचाया। दरअसल, 12 दिसंबर 2022 को गोले के मंदिर चौराहे पर यातायात पुलिस की महिला उपनिरीक्षक सोनम पाराशर यातायात प्रबंधन संभाल रही थी। तभी एक बुजुर्ग को अचानक दिल का दौरा पड़ा और वह अचेत होकर सडक़ पर गिर पड़े। उन्हें देखकर महिला उपनिरीक्षक सोनम पाराशर तत्काल वहां पहुंची और सीपीआर देकर उनकी जान बचा ली।

ड्यूटी पर तैनात डीएसपी की बचाई जिंदगी : इंदौर के होलकर स्टेडियम में 24 जनवरी 2023 को भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले गए क्रिकेट मैच के दौरान ड्यूटी पर तैनात डीएसपी ध्रुवराज सिंह चौहान को अचानक दिल का दौरा पड़ा। उनके सीने में तेज दर्द के साथ ही मुंह से खून आ गया। यह देख उनके साथ ड्यूटी पर तैनात अन्य पुलिसकर्मियों ने उन्हें सीपीआर दिया। इसके बाद उन्हें तत्काल निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनकी जान बचाई जा सकी।

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