मध्य प्रदेश

सागर में बना एमपी का दूसरा महाकाल मंदिर, जो भी दर्शन के लिए पहुंचता है वह चौक जाता है ….

भोपाल/सागर। मध्यप्रदेश के सागर के खैजरा में उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकाल की तर्ज पर बना मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसे बुंदेलखंड का महाकाल मंदिर नाम दिया गया है। जो भी भक्त मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए पहुंचता है वह चौक जाता है। गर्भगृह में जरा भी आभास नहीं होता है कि वह महाकाल मंदिर में नहीं है। यह मंदिर सागर से 25 किमी दूर स्थित ग्राम खैजरा में हूबहू महाकाल मंदिर की तरह बनाया गया है। इस मंदिर की खासियत यह है कि मंदिर में भगवान का गर्भगृह उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह की प्रतिकृति है। मंदिर के शिखर पर महाकाल मंदिर की तरह ही नागचंद्रेश्वर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है, जो सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खोला जाएगा।

मंदिर के पुजारी पंडित महेश तिवारी का दावा है कि यह मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसका पूरा निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही हुआ है। शास्त्रों के अनुसार आकाश मंडल में 27 नक्षत्र होते हैं। इनमें पुष्य नक्षत्र सबसे शुभ माना जाता है। यह नक्षत्र भगवान का भी कहा जाता है। यह नक्षत्र इतना शुभ है कि बगैर पंचांग देखे इसमें कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। माना जाता है कि इस नक्षण में सभी अशुभ योगों को दूर करने की क्षमता होती है। शुभ होने के कारण ही महाकाल मंदिर का निर्माण पुष्य नक्षत्र में कराया गया है।

यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त पहुंच रहे हैं। 41 फीट ऊंचे महाकाल मंदिर में शिखर का निर्माण कार्य चल रहा है। मंदिर का निर्माण पूरी तरह जनसहयोग से किया गया है। महाकाल मंदिर में भगवान की स्थापना करने के लिए चेन्नई से पत्थर खरीदकर जयपुर में शिवलिंग का निर्माण कराया गया। जयपुर से शिवलिंग को पुष्य नक्षत्र में ही खैजरा लाया गया और स्थापना की गई। वर्ष 2022 में भक्तों के दर्शन करने के लिए मंदिर खोला गया।

पुजारी महेश तिवारी ने बताया कि वर्तमान में खैजरा के महाकाल मंदिर के शिखर का निर्माण कार्य चल रहा है। यहां शिखर पर उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह ही नाग चंद्रेश्वर मंदिर बनाया जा रहा है। जिसमें भगवान नाग चंद्रेश्वर की स्थापना की जाएगी।  स्थापना के बाद उज्जैन की तरह केवल नागपंचमी पर्व पर ही 24 घंटों के लिए इस मंदिर को खोला जाएगा। इसके अलावा मंदिर का शिखर भी महाकाल मंदिर के शिखर की हूबहू कापी बनाया जाएगा।

उज्जैन में बने महाकाल लोक या महाकाल कॉरिडोर का उद्धाटन 11 अक्टूबर को होगा। उद्धाटन समारोह में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। इस अवसर पर सागर के खैजरा में बने महाकाल मंदिर में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। यहां सुबह से ही भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया जाएगा। साथ ही सुंदरकांड का पाठ होगा।

बुंदेलखंड के महाकाल धाम की खासियत एक नजर में…

  1. –   खैजरा गर्भगृह का डिजाइन उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह की कापी है।
  2. –   यहां का वास्तुशास्त्र,  प्रवेश और निकास द्वार, दिशा, डिजाइन सब कुछ उज्जैन के महाकाल मंदिर जैसे ही तैयार किया गया है।
  3. –   इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी उज्जैन के महाकाल की हूबहू प्रतिकृति है।
  4. –   महाकाल मंदिर का निर्माण सिर्फ पुष्य नक्षत्र के दिन ही कराया गया है। महीने में एक दिन पुष्य नक्षत्र आता है। यानी महीने में एक दिन ही 24 घंटे मंदिर का निर्माण कराया गया।
  5. –   वर्ष 2013 से शुरू हुआ मंदिर का निर्माण कार्य 108 पुष्य नक्षत्र में यानी नौ साल में वर्ष 2022 में पूरा हुआ।
  6. –   41 फीट ऊंचे महाकाल मंदिर में शिखर का निर्माण कार्य जारी है। यह शिखर भी उज्जैन के महाकाल मंदिर के शिखर की हूबहू कापी बनाया जा रहा।
  7. –   शिखर पर उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह ही नाग चंद्रेश्वर मंदिर बनाया जा रहा है, यह साल में एक बार नागपंचमी को ही 24 घंटे के लिए खोला जाएगा यानी उज्जैन की तरह यहां भी भक्त साल में केवल एक दिन ही भगवान नाग चंद्रेश्वर के दर्शन कर सकेंगे।
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