लेखक की कलम से
रोटी …
ब्रह्मांड सी गोल है रोटी ,
सफ़ेद ख़ूबसूरत और नरम ।
सौंधी- सौंधी और गरम ,
चीज़ का नाम है रोटी !!
भावनाएँ रिश्ते नाते,
मान मर्यादा और संस्कृति ।
दान धर्म है तभी तक ,
जब तक पेट में है रोटी !!
बिना रोटी के आंतें ,
सिकुड़ती और ऐंठती हैं ।
आदमी चाटता है आदमी के तलवे,
और सुनता है ढेरों खरी खोटी !!
रोटी में है वो गरमी ,
वो ताक़त और हिमाक़त ।
काटता नोंचता खसोटता है ,
आदमी आदमी की ही बोटी !!
धरती पर सब है मिथ्या ,
दो चीज़ हैं शाश्वत सत्य ।
इन्हीं में हैं चुंबकीय बंधन ,
रोटी और पेट , पेट और रोटी
और सब चीज़ हैं छोटी!!!
©दीप्ति गुप्ता, रांची, झारखंड