लेखक की कलम से

सपने में गणेशजी …

 

“मम्मी, कल गनू मेरे सपने में आए थे।”छह साल के शिखर ने अपनी मम्मी दिव्या से कहा।

 

“गनू ? कौन गनू? दिव्या ने हंसते हुए पूछा।

 

“अरे मम्मा! गणेश भगवान आए थे।” शिखर ने मासूमियत से कहा।

 

“ओह अच्छा! फिर क्या कहा तुम्हारे गनू ने?” मुस्कुराते हुए दिव्या ने पूछा।

“मैंने उनसे पूछा, की सारे गुड गुड काम शुरू करने से पहले आपका आशीर्वाद क्यों लेते हैं? मम्मा कह रही थीं, की आप बड़े भगवान हो।” शिखर ने मासूमियत से बताया।

 

“तो क्या कहा उन्होंने?” दिव्या ने मुस्कुराते हुए पूछा।

 

“उन्होंने कहा, बेटा जो इंसान अपने बड़ों की इज्जत करें, किसी को तकलीफ ना पहुंचाए; कोई गलत काम ना करें, छोटो को प्रेम दें और औरतों की इज्जत करें वो हर मनुष्य बड़ा होता है, उस मनुष्य के अन्दर तुम्हारा गनू जरूर होता है।”शिखर ने बताया।

 

“हां बेटा, सही बताया तुम्हारे गनू ने।” दिव्या ने हंसते हुए शिखर से कहा और उसे प्यार से गले लगा लिया।

 

 

    ©श्वेता शर्मा, आगरा, उत्तर प्रदेश     

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