मध्य प्रदेश

मोदी-शाह के करीबी भूपेंद्र यादव को मिला मध्यप्रदेश जिताने का जिम्मा

भाजपा ने 4 राज्यों में चुनाव प्रभारी नियुक्त किए, प्रहलाद जोशी को राजस्थान, ओम माथुर को छत्तीसगढ़, जावड़ेकर को तेलंगाना की कमान

भोपाल। भाजपा ने शुक्रवार को राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत चार राज्यों में चुनाव प्रभारियों की घोषणा की। केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी को राजस्थान, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को मध्य प्रदेश, ओपी माथुर को छत्तीसगढ़ और प्रकाश जावड़ेकर को तेलंगाना का जिम्मा सौंपा गया है। पार्टी ने इन राज्यों के सह-प्रभारियों की भी नियुक्ति की है। राजस्थान में जोशी के साथ नितिन पटेल और कुलदीप बिश्नोई को सह प्रभारी बनाया गया है। मध्य प्रदेश में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है। छत्तीसगढ़ में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को सह प्रभारी का जिम्मा दिया गया है।

इसके अलावा तेलंगाना में सुनील बंसल को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है। इन चारों राज्यों में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और तेलंगाना में फिलहाल भारतीय राष्ट्र समिति की सरकार है। बीजेपी ने चार राज्यों में चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी नियुक्त किए है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को मध्यप्रदेश का चुनाव प्रभारी बनाया है। वहीं रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी की जिम्मेदारी दी है। मध्यप्रदेश में इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

छत्तीसगढ़-ओम माथुर के पिछले रिकॉर्ड ने जिम्मेदारी दिलाई : भाजपा ने ओम माथुर को छत्तीसगढ़ का चुनाव प्रभारी बनाया है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को सह प्रभारी की जिम्मेदारी मिली है। माथुर, मोदी और शाह दोनों के करीबी माने जाते हैं। ओम माथुर संघ के पुराने सदस्य रहे हैं। इससे पहले ओम राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र और गुजरात के भी प्रदेश प्रभारी रह चुके हैं। तेलंगाना -प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा चुनाव में राजस्थान में दिलाई थीं 24 सीटें : दक्षिण राज्य कर्नाटक में हार के बाद भाजपा की नजर तेलंगाना पर है। ऐसे में बीजेपी ने प्रकाश जावड़ेकर को तेलंगाना की चुनाव प्रभारी और सुनील बंसल को सह प्रभारी नियुक्त किया है। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले जावड़ेकर के पास भी सरकार चलाने से लेकर संगठन संभालने तक का अच्छा अनुभव है।

भाजपा के थिंक टैंक भूपेन्द्र यादव : जीत का पर्यावरण गढऩे में माहिर

भूपेंद्र यादव। अमित शाह के खास। मजबूत रणनीतिकार। भाजपा के लिए लकी रहे। इस बार मध्यप्रदेश का जिम्मा। प्रदेश को वैसे भी इस वक्त बड़ी किस्मत की जरूरत है। राजस्थान से राज्यसभा पहुंचे। हरियाणा में पढ़े। देश की राजनीति का पर्यावरण सुधारने में जुटे हैं। उनके पास मोदी सरकार में वन और पर्यावरण मंत्रालय का भी जिम्मा है। खांटी संघी भूपेंद्र यादव बूथ मैनेजमेन्ट के माहिर हैं। वे मेरा बूथ, मेरा अभिमान के सप्तऋषि फॉर्मूले को संपूर्णता से लागू करते हैं। अंतिम कार्यकताओं तक अपनी बात पहुंचाने में उनका कोई मुकाबला नहीं। आमतौर पर प्रभारी चुनाव के वक्त राज्यों में अपना ठिकाना बनाते हैं। पर भूपेंद्र यादव नियुक्ति के तत्काल बाद अपना जिम्मा थाम लेते हैं। ये आदत उन्हें संघ के प्रचारकों के प्रवास से मिली है।

भूपेंद्र यादव से मेरी पहली मुलाकात बिहार के पटना में हुई। उस वक्त मैं पटना के प्रभात खबर में संपादक था। ये 2015 की बात है। जहां तक मुझे याद है उनके साथ जेपी नड्डा भी थे। यादव बिहार के प्रभारी थे। वे दफ्तर आये। उनकी सहजता देखकर लगा ही नहीं कि देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल का कोई बड़ा नेता मेरे सामने बैठा है। बातचीत में ये भी सामने आया कि बिहार जैसे उलझे हुए राजनीतिक और भौगोलिक राज्य को वे पूरा पढ़, समझ चुके हैं। वे एक-एक टोला, बूथ और जातियों के गणित से वाकिफ थे। बूथ, विधानसभा के नंबर्स और जातियों के वोट का प्रतिशत उनकी जुबान पर था।

बिहार को छोडक़र वे जहां भी प्रभारी रहे उनको जीत मिली। बिहार के उस चुनाव में भाजपा की रणनीतिक चूक बिलकुल नहीं थी, पर नीतीश कुमार के लालू के साथ आ जाने से समीकरण तेजी से बदले। इसके अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत ने आरक्षण को धीरे-धीरे समाप्त करने का जो भाषण दिया उसको लालू ने जातिवादी राजनीति के जरिये इस कदर फैलाया कि भाजपा के आने पर आरक्षण खत्म हो जाएगा। वक्त कम था, ऐसे में जमी, जमाई रणनीति बिखर गई। 2013 में राजस्थान का विधानसभा चुनाव हो या फिर 2014 में झारखंड और 2022 में हुए गुजरात तथा 2017 उत्तर प्रदेश के चुनाव। इन राज्यों में बीजेपी के लिए उन्होंने जीत हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को यादव पर इतना भरोसा है कि 2022 में उन्हें अपने गृहराज्य गुजरात का चुनाव प्रभारी बनाकर भेजा।

मध्यप्रदेश एक ऐसा राज्य जो 18 साल से भाजपा के पास है। नेतृत्व का चेहरा शिवराज हैं। मध्यप्रदेश में अठारह साल में परत दर परत सत्ता का स्वाभाविक विरोध जमा हो गया है। ये ठहरे हुए पानी के भीतर जमी हुई काई की तरह है। ऊपर से पानी बेहद साफ दिखाई देता है, पर अंदर काई की परतें होती हैं। पैर रखते ही डूबने का खतरा। भूपेंद्र यादव को अभी प्रदेश में भीतर तक जमी इस काई को ही हटाना है।

 

Back to top button