लेखक की कलम से

अफगानिस्तान : क्या फिर लौटेगा तालिबानी आतंक …

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चीन की क्यों है नजर?

अमेरिकी सेना की वापसी के बाद चीन अफगानिस्तान पर करीब से नजर रखे हुए हैं। अमेरिका का स्थान राष्ट्रपति शी जिनपिंग लेना चाहेंगे क्योंकि पवर्तीय अफगानिस्तान में खनिज पदार्थ, खासकर तेल तथा हीरे आदि का विशाल भंडार है। तो यह रणनीतिक के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी चीन के एजेंडा में मुख्य रूप से शामिल है।

पिछले 40 साल से अफगानिस्तान में ऐसा रहा उथल-पुथल का दौर…

1979 : सोवियत संघ की लाल सेना ने अफगानिस्तान में प्रवेश किया। रूसी सेना ने बारबरक कर्माल के नेतृत्व में कम्युनिस्ट सरकार बनवाई। 80 लाख से ज्यादा अफगानिस्तानियों ने पाकिस्तान व ईरान में शरण ली।

1980 : अमेरिका की सीआईए ने सोवियत सेनाओं के खिलाफ जंग छेड़ने के लिए अफगानी मुजाहिदिन को ऑपरेशन साइक्लोन के लिए पैसा और हथियारों की आपूर्ति शुरू की। पाकिस्तान के तत्कालीन सैन्य शासक जिया उल हक जरिया बने।

सितंबर 1986 : अमेरिका ने मुजाहिदिनों को शोल्डर हेल्ड एंटी एयरक्राफ्ट स्ट्रिंजर मिसाइल दी। इससे युद्ध का रुख बदल गया। सोवियत संघ ने वापसी पर बातचीत शुरू कर दी।

15 फरवरी 1989 : आखिरी सोवियत सैनिक ने अफगानिस्तान छोड़ा। रूस का 10 साल का कब्जे समाप्त।

अप्रैल 1992 : मुजाहिदीन समूहों ने काबुल में प्रवेश किया। भाग रहे नजीबुल्लाह को हवाई अड्डे पर रोक दिया गया। नजरबंद किया।

1994 – दक्षिणी कंधार में तालिबान का उदय हुआ। इस प्रांत पर कब्जा कर लिया। इसके बाद तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर अपनी पकड़ मजबूत बनानी शुरू की।

सितंबर 1996 : तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया। तालिबान ने नजीबुल्लाह और उसके भाई को फांसी पर लटका दिया।

सितंबर 2001 : 9/11 के हमले के बाद वाशिंगटन ने मुल्ला उमर को अल्टीमेटम देकर ओसामा बिन लादेन को सौंपने को कहा। तालिबान नेता ने मना कर दिया।

7 अक्टूबर, 2001 : अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन ने अफगानिस्तान पर आक्रमण शुरू किया।

7 दिसंबर 2001 : मुल्ला उमर ने कंधार छोड़ दिया और तालिबान शासन आधिकारिक रूप से ध्वस्त हो गया।

2004 और 2009 : दो आम चुनावों में करजई लगातार दो बार राष्ट्रपति चुने गए।

8 दिसंबर, 2014 : अमेरिकी और नाटो सैनिकों ने औपचारिक रूप से अपने लड़ाकू मिशन को समाप्त कर दिया। अब अमेरिका की भूमिका समर्थन और प्रशिक्षक के रूप में सीमित रह गई।

29 फरवरी, 2020 : अमेरिका और तालिबान ने दोहा, कतर में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। अफगानिस्तान से 13 हजार अमेरिकी सैनिकों की समयबद्ध वापसी तय हुई।

14 अप्रैल, 2021 : राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अफगानिस्तान में शेष 2,500-3,500 अमेरिकी सितंबर तक वापस लौट जाएंगे।

2 जुलाई 2021 : अमेरिका ने बाग्रामी एयरफील्ड को अफगान सेना को सौंप दिया। अमेरिका सेना की अफगानिस्तान में उपस्थिति के दौरान बाग्रामी एयरफील्ड अमेरिका का मुख्य वार रूम बना रहा।

 

एक नज़र में अफगानिस्तान…

 

पूरा नाम : इस्लामिक रिपब्लिक आफ अफगानिस्तान

आबादी : 3.22 करोड़

क्षेत्रफल : 6,52,230 वर्ग किमी (राजस्थान से लगभग दोगुना)

सरकार प्रमुख : अशरफ घानी (राष्ट्रपति)

प्रमुख कबीले : पश्तुन (42%), ताजिक (27%)

 

 

©के. विक्रम राव, नई दिल्ली                                           

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