लेखक की कलम से

कोरोना काल …

प्रकृति का प्रकोप या

 ईश्वरीय मायाजाल

 चीन का षड्यंत्र या

 डबल्यू.एच.ओ.की कोई चाल

 समझ पाते उससे पहले

 कोरोना ने फैलाया अपना जाल।

 ना मिटा बजाने से यह थाल

 ना जला जलाने से दीप की माल।

 पसर गया हर नगर बस्ती में

 बन सबके जी का जंजाल।

 रोक दी भारत की इसने चाल

 किया कर्फ्यू ने ऐसा हाल

 भूख से मरने लगे गरीब

 अस्पतालों में मचा बवाल।

 सांस लेने को शुद्ध हवा

 पर है सब का चेहरा ढका

 ना कोई दवा न कुछ कमाल

 लो बीत गया यूं आधा साल।

 प्रकृति ने चलकर अपनी चाल

 दिया संदेश बदलो अपना हाल

 जियो बन एक दूजे की ढाल

 बीत जाएगा कोरोना ना काल।

 बीत जाएगा कोरोना काल।।

©मोहिनी गुप्ता, हैदराबाद, तेलंगाना        

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