लेखक की कलम से

बेजुबान पशुओं पर नहीं थम रहा अत्याचार …

भारत में कोरोना महामारी संकट से ज्यादातर इंसान गुजर रहे हैं। पिछले साल प्रवासी मजदूर सड़क पर भूखे और नंगे पांव अपने गांव की ओर निकल पड़े। इससे पूरे देश का मन हिल गया था। इसी दौरान बेजुबान पर होनेवाले क्रूर हमले से भी सारा देश दुखी हुआ। आए दिन देश में कही ना कहीं से बेजुबान पशुओं पर अत्याचार और उनके शोषण के बारे में खबरे सामने आ जाती हैं। ऐसे मामलों में आरोपी पकड़े भी जाते हैं और उनको सजा भी दी जाती है। इसके बावजूद वारदातें कम होने का नाम नहीं लेती हैं। हर साल न जाने कितने बेजुबान पशुओं पर बड़े बेरहमी से अत्याचार होते हैं।

कई जगह पर बेजुबान जानवर पर अत्याचार करते समय के व्हिडीओ वायरल किये जाते हैं। अत्याचार इतने भयानक होते हैं, जिन्हें देखकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं। हैरत की बात यह है कि जितनी फुर्ती से बेजुबान पशुओं पर होनेवाले अत्याचार के वीडियो वायरल होते हैं, उतनी ही तेजी से देश की जनता टिप्पणियां देकर अपना पशुप्रेम जाहिर करने लगती है। लेकिन उतनी तेजी से पशुओं पर होनेवाले अत्याचार को रोकने आगे नही आती।

ऐसे ही उल्हासनगर कैम्प 4 में रहनेवाले पशुप्रेमी श्रेया एक आम नागरिक जीवन जीने के साथ साथ बस्तियों में रहने वाले लावारिस कुत्तो की भी देखभाल कर के उन्हें खाना खिलाती हैं। अपनी आप बीती सुनाते हुए श्रेया कहती हैं कि बेजुबान को पत्थर डंडे से मारना अथवा पीटना अब इंसानों की आदत बन गयी है। मेरे इस काम में कुछ हिंसक लोग लगातार बाधाएं डालते हैं। हम जिन कुत्तों को खाना खिलाते हैं। उन लावारिस कुत्तों को बस्ती के कुछ लोग हमारे पीछे रोज मारते पीटते हैं। पूछने पर झगड़े पर उतर आते हैं। कुछ हिंसक लोगों ने आठ छोटे कुत्ते के पिल्ले की मां के सिर पर रॉड से हमला किया जिससे उसके दिमाग की नस को गहरी चोट लगी और वह कोमा में चली गयी। इतने पर भी वह हिंसक इंसान नहीं रुका। कुछ दिन बाद उसके बच्चे को खाने में जहर देकर मार दिया। कुछ महीने बाद दूसरे कुत्ते की रीड की हड्डी तोड़ कर उन्हें दूर किसी नाले में मरने के लिए फेक दिया गया। जब मुझे खबर मिली तो हम उसे खोजकर लेके आई। वह पूरी तरह से घायल और दर्द में तड़पती हुई मिली। डॉक्टर के पास ले गए उन्होंने बताया यह कभी चल नही सकेगा। तो हमने उसके लिए घर मे ही एक सायकल बनवाई और उसके देखभाल में पूरी तरह से जुट गए तो उसी दौरान कुछ और दो कुत्ते के बच्चे को 3 से 4 किलोमीटर दूर सुनसान जगह पर छोड़ दिया गया।

श्रेया और उसके पति का कहना है कि इन लावारिस बेजुबान पर होनेवाला यह कोई पहला हमला नहीं है। ये हमले लगातार किये जाते हैं। इसका कारण यही है कि हम उनकी देखभाल कर रहे है। हिंसक लोगो के सोच के मुताबिक वह हमें मानसिक तकलीफ़ देकर बेजुबान को होनेवाले वेदनाओं के मजे ले सके।

श्रेया कहती है इस मामले को लेकर हमने कई संस्था से सपर्क किये ताकि वह आकर बस्तियों के लोगो तक बेजुबान के प्रति पशु प्रेम की जागृति करे। उन पर होनेवाले अत्याचार पर रोक लगाए। आवारा कुत्तों की नसबंदी करवाये परंतु हमे किसीसे कोई सहयोग और नाही कोई। मदद मिली। हर बार निराशा ही हाथ लगी और आज भी हम उन्ही हालतों का सामना कर रहे हैं।

बेजुबान जानवर भले अपनी भावनाएं बोल कर व्यक्त नहीं सकते परंतु हम लोगो को जताते तो है कि , हम मानव जाति उनसे प्रेम करती है। वह हमसे सिर्फ प्रेम पाना चाहते हैं। उनके प्रति प्रेम सहानुभूति रखना हमारा भी दायित्व बनता है। जरा सोचिए क्या हम ऐसे समाज को बढ़ावा दे रहे हैं जो आनेवाले पर्यावरण और प्राणी को नष्ट कर रहे हैं।

बीते सालों में बेजुबान जानवरो पर होने वाले क्रूर अत्याचार के मामलों में तेजी से इजाफा देखने को मिला है। इस से साफ जाहिर होता है कि बेजुबान पर निकलने वाले कानून का सख्ती से पालन नहीं हो रहा।

साठ साल हो गए फिर भी बदलते हुए हालात के मद्देनजर कानून की जगृति नही होने से और कम जुर्माना की वजह से किसी को भी बेजुबान जानवर और पशुओं के साथ क्रूरता करने में कोई भय नही होता। संवेदनहीन लोग बेजुबान जानवरो पर अत्याचार करने से बाज नही आते।

इस बीच अच्छी खबर सामने आई है कि अपने देश की सरकार जल्द ही बेजुबान पशुओं के हित में सख्त कानून बनाने जा रही है। नए कानून तहत बेजुबान जानवरो को सताने औऱ मारने पर 75 हजार तक का जुर्माना और पांच साल तक जेल की सजा भी हो सकती है। यदि नए कानून में यह सख्ती से प्रावधान होंगे और इस कानून को ठीक से अमल में लाया जाए और सरकारी एजंसियां पूरी गंभीरता से कार्रवाई करेगी तो अपने देश में कई बेजुबान की जान बच सकते है।

1) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 (अ ) के मुताबिक हर जीवित प्राणी के प्रति सहानुभुति रखना प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है।

(2 ) कोई भी पशु ( मुर्गी समेत ) सिर्फ बूचड़खाने में ही काटा जाएगा। प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट और फ़ूड सेफ्टी नियम है।

( 3 ) भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 के मुताबिक किसी पशु को मारना या अपंग करना भले ही वह आवारा क्यो न हो दंडनीय अपराध है।

(4 ) प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी ऑन एनिमल्स एक्ट ( पीसीए )1960 के मुताबिक किसी पशु को आवारा छोड़ने पर तीन महीने की सजा हो सकती है।

( 5 ) एंटी बर्थ कंट्रोल रूल्स ( डॉग ) इसके तहत आवारा कुत्तों के प्रजनन को रोकने के लिए उनका टीकाकरण किया जा सकता है लेकिन उन्हें मारना कानून अपराध है।

(6) कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि किसी बीमारी का शिकार होने पर लोग अपने पालतु जानवर को कही छोड़ देते है। आप को बता दे कि यह भी कानूनन अपराध है।

जिसके लिए सजा का प्रावधान भी है। प्रिवेंशन ऑफ क्रुएलिटी न एनिमल्स एक्ट ( पी सी ए ) 1960 के मुताबिक किसी पशु को आवारा छोड़ने पर तीन महीने की सजा हो सकती है।

 

©हेमलता म्हस्के, पुणे, महाराष्ट्र                                   

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