बिलासपुर

एलसीआईटी पब्लिक स्कूल में अधिवक्ता डॉ. अन्नपूर्णा तिवारी ने कहा – इंटरनेट की जिज्ञासा ही साइबर क्राइम का कारण

बिलासपुर। मोबाइल और इंटरनेट की लत आज बच्चों पर हावी है। दुनिया भर के ज्ञान प्राप्त करने के लिए पालक ही बच्चों को मोबाइल दे रहे हैं। जिज्ञासा और खोजी प्रवृत्ति के कारण बच्चे किताबी ज्ञान और बहुत कुछ जान लेने, बहुत कुछ करने की इच्छा रखते कब साइबर क्रइम में चले जाते हैं इस बात का एहासास नहीं होता। सतर्कता ही बचने का विकल्प है।

साइबर क्राइम पर जागरूकता लाने और स्कूली बच्चों को साइबर क्राइम से कैसे बचें इस विषय पर आज एलसीआईटी पब्लिक स्कूल बोदरी बिलासपुर में यह कार्यक्रम आयोजित की गई। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. अन्नपूर्णा तिवारी ने उक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि आज सभी बच्चों के पास मोबाइल है। मोबाइल उनके माता-पिता ही दे रहे हैं लेकिन इंटरनेट के माध्यम से बच्चे बहुत कुछ जानने और समझने की जिज्ञासा में कब साइबर क्राइम तक पहुंच जाते हैं उनको आभास भी नहीं होता। कम्प्यूटर में आज कई ऐसे लोकप्रिय वेबसाइट हैं जिसमें क्या गलत है और क्या सही है इसका फैसला बच्चे नहीं कर पाते हैं। आज आठवीं कक्षा से आगे के बच्चे प्रोजेक्ट बनाने से लेकर होमवर्क करने तक इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। पढ़ाई के साथ साथ बच्चों का लगाव सोशल साइड्स पर हो जाता है। पालाकों की यह चिंता होती है कि बच्चे कहीं विवादित गतिविधियों का शिकार न हो जाएं।

इंटरनेट पर बच्चे आज किसी भी मुद्दे पर कमेंट करने को सोचते हैं और ऐसा करते भी हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता कि साइबर की भाषा में यह अपराध है। भारत में बड़ी संख्या में बच्चे साइबर बुलिंग का शिकार हो रहे हैं। इसमें डिर्पेशन तक वे पहुंच जाते हैं। आंकड़े के मुताबिक 15 करोड़ से अधिक बच्चे इंटरनेट का उपयोग करते हैं यह भी सही है कि बहुत छोटे उम्र में कई बच्चों ने इंटरनेट के माध्यम से ही बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। बच्चे और अभिभावकों को बस इसी बात का ध्यान रखना है कि इंटरनेट का उपयोग किताबी ज्ञान के अलावा दूसरे माध्यमों के लिए न किया जाए।

कम्प्यूटर से निजी जानकारियों को निकालना या चोरी करना भी साइबर क्राइम की श्रेणी में है। इसमें जानकारियों को निकालने के अलावा मिटाने से लेकर और कई तरह के काम किए जाते हैं। इसी तरह के कम्प्यूटर हेकिंग का काम भी हो रहा है। बैंकों में पासवर्ड जानकारी कर पैसे निकालने का काम भी लगातार हो रहा है। सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और झूठी अफवाह फैलाने का काम भी बहुत तेजी से चल रहा है। कम उम्र के बच्चों को फेसबुक और इंटरनेट पर ऐसी सूचना प्रसारित कर दी जाती है जिसमें वे स्वयं शिकार हो जाते हैं। अभिभावकों को चाहिए कि व्हाट्सएप व फेसबुक से बच्चों को दूर रखें। ट्रोजन के माध्यम से भी साइबर क्राइम बहुत तेजी से बढ़ रहा है। ट्रोजन एक तरह से साफ्टवेयर है जिसके माध्यम से कम्प्यूटर हैक करने से लेकर कई तरह के अपराधिक काम किए जाते हैं। ट्रोजन से कोई भी डाटा मिटाया जा सकता है और डाटा की चोरी भी की जा सकती  है। भारत में 18 फीसदी लोग ट्रोजन का शिकार हो रहे हैं। इसमें बैंक भी बड़ी संख्या में शामिल है।

इंटरनेट के माध्यम से सामान मंगवाना आज आम बात है। मोबाइल में कई कंपनियों के उत्पाद के विज्ञापन रोज देखें जा सकते हैं। सस्ते कीमत पे अच्छी कम्पनियों के सामान मिलने की बात कही जाती है। सस्ता सामान खरीदने की लालच में रोज लोग लुटे जा रहे हैं। कुछ लोग शिकायत करते हैं लेकिन ज्यादातर ऑनलाइन खरीदी के संबंध में शिकायत लोग यह समझकर नहीं करते कि मेरा तो कम पैसा का मामला है पुलिस के लफड़े में क्यों पड़ूं। लेकिन इंटरनेट के इस व्यापार में रोज क्राइम किए जा रहे हैं। ऐसे साइबर क्राइम से भी दूर रहना चाहिए। इंटरनेट पर बच्चे गेम्स का भी शिकार हो रहे हैं। एक चर्चित ब्लू व्हेल गेम को प्रतिबंधित किया गया है लेकिन इसके बदले में चार नए और गेम इंटरनेट पर आ चुका है। आगे भी ऐसे गेम्स आते रहेंगे। जागरूकता और समझदारी से ही साइबर क्राइम से बचा जा सकता है।

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