लेखक की कलम से
पर्दा…
पर्दा तो शर्म का ही काफी हैं
वरना
इसारे तो घूंघट में भी होते हैं
जिन लोगों ने भी मुझपर ऊंगली उठायी
वो आज भी लंगड़ा कर चलते हैं
©सीमा सन्नी, मुंबई
पर्दा तो शर्म का ही काफी हैं
वरना
इसारे तो घूंघट में भी होते हैं
जिन लोगों ने भी मुझपर ऊंगली उठायी
वो आज भी लंगड़ा कर चलते हैं
©सीमा सन्नी, मुंबई