मध्य प्रदेश

बिशप पद से हटाने और जेल भेजे जाने के बाद भी कम नहीं हो रहा पीसी सिंह का प्रभाव ….

जबलपुर। बिशप पद से हटाए गए पीसी सिंह के जेल जाने के बाद भी उसका प्रभाव कम नहीं हो रहा है। उसकी पत्नी व बेटा अब भी कई संस्थाओं में महत्वपूर्ण पदों पर जमे हैं तथा उन्हें वेतन भी दिया जा रहा है। पत्नी व बेटे के खिलाफ कार्रवाई न होने से कार्यवाहक बिशप की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई है। इधर, ईओडब्ल्यू की जांच में नए-नए खुलासे हो रहे हैं।

जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि बिशप बड़ी तादात में सोने के सिक्के खरीदता था। इसके लिए उसने कुछ बैंकों से साठगांठ कर रखी थी। बैंकों में सोने के सिक्के आते थे वह सभी सिक्के खरीद लेता था। वहीं एक निजी बैंक के कर्मचारियों व अधिकारियों के साथ मिलीभगत कर लोन की रकम में हेरफेर का मामला सामने आया है। बैंक अधिकारी से साठगांठ कर सिंह ने लोन स्वीकृत कराया था जिसकी किश्तें चुकाने का भार स्कूलों पर डाल दिया। बताया जाता है कि बिशप रहते हुए पीसी सिंह ने विजयनगर व सालीवाड़ा में जमीनें खरीदी थीं। जिसकी रजिस्ट्री उसने अपने नाम पर कराई थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बिशप ने उक्त जमीनों पर स्कूल बनाने के लिए उसने निजी बैंक से लोन लिया था। निजी जमीन पर संस्थाओं द्वारा संचालित स्कूलों के नाम पर लोन स्वीकृत किया गया था। लोन की राशि उसने निजी उपयोग में लाई जिसकी किश्त स्कूलों को भरनी पड़ रही है। यह भी पता चला है कि पीसी सिंह ने अपने घर के बाहर बैंक का एटीम लगवाया था। जिसका किराया डायोसिस व संस्थाओं में जमा न कर स्वयं के उपयोग में लाता था। इस पूरे मामले में एक निजी बैंक के कर्मचारी की भूमिका सामने आई है। वह चर्च का सदस्य है तथा पीसी सिंह उसकी पदस्थापना में सहयोग करता था।

पीसी सिंह के राजदार व कई स्कूलों में मैनेजर सुरेश जैबक पर ईओडब्ल्यू का शिकंजा कस गया है। शुक्रवार को ईओडब्ल्यू ने उसके खिलाफ जारी नोटिस की तामील कराई। उसने सोमवार को ईओडब्ल्यू कार्यालय पहुंचकर बयान दर्ज कराने का आश्वासन दिया है। सुरेश से पूछताछ उपरांत पीसी सिंह के कुछ अन्य कारनामे सामने आ सकते हैं।

जबलपुर प्रशासन ने क्रिश्चियन सोसाइटी से 1.36 करोड़ की जमीन वापस ले ली है। इसी जमीन पर बिशप पीसी सिंह मकान और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनवा रहा था। 1 लाख 70 हजार वर्गफीट जमीन जब्त कर ली गई है। क्रिश्चियन सोसाइटी की जमीन पर बैंक, एफसीआई ऑफिस, बारात घर संचालित हो रहे थे। यहां तक कि प्लॉटिंग भी कर दी गई थी। लीज की जमीन पर कॉलोनी बना दी थी। साल 1999 में ही इस जमीन की लीज खत्म हो गई थी।

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