मध्य प्रदेश

मोबाइल लैपटॉप से सर्च हो रहीं 50 लाख बच्चों से जुड़ी अश्लील साइट

(आईसीपीएफ) एवं महिला एवं बाल कल्याण विभाग की संयुक्त परिचर्चा में ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई गई

भोपाल। आजकल हर बच्चे के पास मोबाइल है। अभिभावक खुद परेशानियों से बचने के लिए छोटे बच्चों को मोबाइल पकड़ा देते हैं। कोरोना के बाद तो सभी स्कूली बच्चों के पास मोबाइल और लैपटॉप आ चुके हैं, लेकिन अब इनसे नई समस्या पैदा हो रही है। ऑनलाइन कक्षाओं के कारण बच्चों की मोबाइल व लैपटॉप पहुंच के साथ नए खतरे भी पैदा हुए हैं। मोबाइल और लैपटॉप पर बच्चे अश्लील साइट पर जा रहे हैं। इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) एवं महिला एवं बाल कल्याण विभाग के एक कार्यक्रम में यह बात सामने आई है। हालिया वर्षों में बच्चों के ऑनलाइन यौन शोषण की घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है। हाल ये है कि नेट पर बच्चों की लाखों अश्लील सामग्रियां मौजूद हैं। बच्चे भी इन्हें खूब सर्च कर रहे हैं।

आईसीपीएफ द्वारा अप्रेल 2020 में जारी एक रिपोर्ट में देश के 100 शहरों में हर महीने औसतन 50 लाख बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्रियां या चाइल्ड एब्यूज सेक्सुअल मैटीरियल (सीसैम) सर्च किए गए। यह जानकारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड (आईसीपीएफ) एवं महिला एवं बाल कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक परिचर्चा के दौरान दी गई। कार्यक्रम में ऑनलाइन यौन उत्पीडऩ के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई गई और इस पर लगाम लगाने के उपायों की बात कही गई। मप्र महिला व बाल विकास विभाग के निदेशक विशाल नाडकर्णी ने कहा कि मदद के लिए हमारे पास कड़े कानून, एजेंसियां और विशेषज्ञ हैं। हम जमीनी स्तर पर परिवारों के बीच जागरूकता पैदा करें।

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