मध्य प्रदेश

बजरंगबली पर राजनीति करने सब आगे, पर भक्तों से छुआछूत

राजधानी से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर सामाजिक भेदभाव, दलितों का आरोप... भंडारे में अलग बैठाया, मंदिर में भी नहीं देते प्रवेश

रघुवर दयाल गोहिया, सीहोर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला अभी भी छुआछूत का दंश झेल रहा है। इछावर विधानसभा क्षेत्र के अमलाहा ग्राम में मंगलवार को एक धार्मिक आयोजन के दौरान आयोजित भंडारा कार्यक्रम में दलित समाज के लिए अलग और सवर्ण समाज के लिए अलग टेंट लगाया गया था, जिसमें भोजन प्रसादी का वितरण किया गया। दलितों का आरोप है कि हमसे न तो भंडारे में सहयोग लेते और न तो हमें मंदिर में प्रवेश दिया जाता है। सीढ़ी पर खड़े होकर प्रसाद चढ़ाना पड़ता है।

मंगलवार को जिले के अमलाहा में मंदिर पर चल रहे भंडारे में दलितों और सवर्णों के लिए अलग-अलग टेंट लगाया गया। उनमें उन्हीं समाज के लोगों को बैठाकर भोजन प्रसादी दी गई। ऐसे में दलितों ने इस पर आपत्ति भी जताई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। दलितों का कहना है कि भंडारे में हमें भी बराबरी से बैठाकर प्रसादी मिलना चाहिए। दलितों ने यह भी आरोप लगाया है कि सवर्ण वर्ग उन्हें मंदिर में भी नहीं जाने देते हैं। जब इस मामले की खबर अमलाहा पुलिस को लगी तो वह भी मौके पर पहुंच गई थी। अमलाहा चौकी प्रभारी अविनाश भोपले का कहना है कि वहां टेंट तो अनके लगे हैं, लेकिन छुआछूत जैसी कोई बात सामने नहीं आई है।

अलग-अलग लगते हैं टेंट

अमलाहा गांव में पिछले कई सालों से हनुमान मंदिर पर भंडारा आयोजित किया जाता रहा है। इस भंडारे में अलग-अलग टेंट लगाकर लोगों को भोजन प्रसादी वितरित की जाती है। मंगलवार को भी यहां भंडारा आयोजित किया गया। भोजन प्रसादी के लिए यहां अलग-अलग टेंट लगाए गए हैं, जिनमें श्रद्धालुओं को प्रसादी वितरित की जा रही है। इस बीच कुछ लोगों ने आरोप लगाए कि यहां सवर्णों के लिए अलग और दलितों के लिए अलग-अलग टेंट लगाए गए हैं।

भंडारे के लिए नहीं लेते सहयोग, मंदिर में प्रवेश नहीं देने का भी आरोप

जीवन सिंह ने कहा कि जब हमने कहा कि यह गलत हो रहा है तो किसी भी जिम्मेदार ने कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने बताया कि हम भंडारे के लिए सहयोग भी नहीं दे पाते हैं। आयोजकों का कहना होता है कि यदि हम आपसे सहयोग राशि या सामग्री लेंगे तो यह भंडारे का अपमान होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमें मंदिर में भी प्रवेश नहीं दिया जाता है। यदि प्रसाद लेकर भी जाते हैं तो पहली सीढ़ी पर ही खड़े होकर पंडितजी को देना होती है।

हाल ही के कुछ और मामले

जिले की सुरक्षित विधानसभा सीट आष्टा में सवर्णों व दलित समाज के बीच यह विवाद अधिक हो रहे हैं। करीब एक माह पहले मालवीय समाज के एक विवाह समारोह में आष्टा तहसील के एक गांव में दूल्हे की बारात नहीं निकलने दी गई थी। इसके पहले मंदसौर जिले में भी एक बीएसएफ के जवान की बारात दबंगों ने नहीं निकलने दी थी। यह जवान दलित समाज का था। बारातियों के साथ भी मारपीट की गई थी। दूसरे दिन पुलिस संरक्षण में बारात निकाली गई थी।

जातिवाद और छुआछूत का है माहौल

गांव के जीवन सिंह मालवीय ने बताया कि जो भंडारा हो रहा है, उसमें दलित वर्ग के लोगों को अलग टेंट में बैठाकर प्रसादी दी जा रही है। जबकि सवर्णों को अलग टेंट में बैठाकर प्रसादी दी जा रही है। यहां जातिवाद और छुआछूत का माहौल फैलाया जा रहा है। प्रसादी परोस रहे देव सिंह मालवीय से जब पूछा गया कि दूसरे टेंट में कौन लोग हैं तो उन्होंने बताया कि वहां सब बड़े लोग हैं और इधर जहां वे खुद परोसदारी कर रहे हैं वहां सब मालवीय समाज के लोग बैठे प्रसादी ले रहे हैं।

सभी सनातनियों को आपसी सद्भाव और समरसता का परिचय देना चाहिए

इस संबंध में सीहोर जिला पंचायत अध्यक्ष इंजी. गोपाल सिंह का कहना है कि हमारे देश का संविधान सभी नागरिकों और धर्मावलंबियों को समरसता के साथ अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देता है। अमलाहा के धार्मिक आयोजन के बारे में यही कहना चाहूंगा कि हम सभी सनातन धर्म का पालन करने वाले लोगों को आपसी सद्भाव और समरसता का परिचय देना चाहिए। यही हमारे देश और प्रदेश को शक्तिशाली बनाएगी।

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