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296 साल पहले पड़ा था ऐसा सूर्यग्रहण, जाने संयोग और ग्रहण काल में क्या करें क्या न करें

बिलासपुर। 26 दिसम्बर को पड़ने वाले ग्रहण के मद्देनजर आज रात 8 बजे से मंदिरों के पट बंद हो जाएंगे। ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिरों में पूजा अर्चना की जाएगी उसके बाद दर्शन लाभ होगा।

जानकारी के अनुसार 26 दिसंबर को वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है। साथ ही धनु राशि में छह ग्रह एक साथ विद्यमान हैं। ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण का संयोग 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को बना था। इस ग्रहण पर देश के लाखों लोगों का ध्‍यान है क्‍योंकि यह साल का आखिरी सूर्य ग्रहण तो है ही, यह भारत में भी दिखाई देने वाला है। देश के कुछ दक्षिणी राज्‍यों में यह वलय आकार में नज़र आएगा जबकि अन्‍य राज्‍यों में यह आंशिक रूप से दिखाई देगा।

ग्रहण के संबंध में पौराणिक मान्यता अलग है जबकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है तब चंद्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढंक जाता है। इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है

ज्‍योतिष की दृष्टि से इस ग्रहण को बहुत महत्‍वपूर्ण बताया जा रहा है। कुछ राशियों के लिए यह ग्रहण बेहद खास होने वाला है क्‍योंकि इसके बाद से उनके जीवन में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। संबंधित राशि के जातकों के लिए यह ग्रहण शुभ फल देने वाला साबित हो सकता है। ज्‍योतिषियों की मानें तो यह ग्रहण अधिकांश लोगों के लिए राजयोग लेकर आ रहा है जो उनके लिए उन्‍नति के द्वार खोल देगा

क्या करें और न करें-

मान्यता के अनुसार सूतक काल के बाद भोजन करना वर्जित है जबकि ग्रहण काल में पानी भी पीने की मनाही है। हालाकि इससे रोगी वृद्ध और बालक मुक्त है।

ग्रहण काल में घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।

इस दौरान सोने से भी बचना चाहिए। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान भजन ध्यान जप आदि का महत्व है।

ग्रहण के उपरांत स्नान करना चाहिए उसके बाद ही कोई अन्य कार्य करें। साथ ही जिसे जप आदि करना हो तो वे ग्रहण के पूर्व भी स्नान करें।

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