लेखक की कलम से
हे मेरे पितरों, मेरा नमन आपको…
जानती हूँ मैं, मैं कुछ खास नहीं
लेकिन फिर भी वह पल, जिस पल जीतेजी आपको प्यास लगी होगी
तब मेरे इन हाथों ने आपको अगर
तृप्त किया होगा ,शीतल जल पिलाया होगा वही मेरे लिये तर्पण
वह क्षण,जिस क्षण आपको भूख
लगी होगी और मेरे इन हाथों ने
बनाकर खिलाया होगा स्वादिष्ट भोजन
वही मेरे लिये तुम्हारी पुजा हुई होगी
हे मेरे पितर ,जब किंचित कुछ
बातों पर तुम उदास बैठे हुए होंगे
तब मैंने अगर आपके चेहरे पे
अपने व्यवहार से मुस्कुराहट
लाई होउंगी वही मेरे लिये
सच्ची श्रद्धांजलि हुई होगी
मरने के बाद स्वर्ग से टिफिन
सर्विस थोड़ी है जो खिलाने पर
आपके मन भरी होगी इति शुभम्।
सुप्रसन्ना, जोधपुर