लेखक की कलम से
अन्न की सृजनात्मकता मुबारक…
कनकना रही है धरती
ठिठुर रहा है गली गली
मुखौटों को छोड़कर
घूमने वह कहां चली
हर्षित हवा मचलकर
मौसम से मिलने चली
फूलों की मुस्कुराहट
हवा मौसम संग पली!
©लता प्रासर, पटना, बिहार
कनकना रही है धरती
ठिठुर रहा है गली गली
मुखौटों को छोड़कर
घूमने वह कहां चली
हर्षित हवा मचलकर
मौसम से मिलने चली
फूलों की मुस्कुराहट
हवा मौसम संग पली!
©लता प्रासर, पटना, बिहार