मध्य प्रदेश

इन्वेस्टर्स समिट में एमपी स्टार्ट-अप इकोसिस्टम पर होगा स्पेशल सेशन, एमपी के ढाई हजार स्टार्ट-अप केन्द्र सरकार में रजिस्टर्ड

भोपाल। कोरोना संकट के कारण प्रभावित हुई इकॉनामी को पटरी पर लाने के लिए प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में 11 और 12 जनवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। इसमें ‘एमपी स्टार्ट-अप इकोसिस्टम’ पर विशेष सत्र का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सरकार की नीतियों और योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। निवेशकों, वेंचर केपिटल फंड और मीडिया संस्थानों के प्रमुखों की मौजूदगी में ‘ए स्टार्ट-अप्स जर्नी – सीड टू यूनिकॉर्न एंड बियॉन्ड’ विषय पर पैनल डिस्कशन भी होगा।

विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम मुहैया कराने में मप्र अग्रणी राज्यों में शुमार

प्रदेश सरकार की स्टार्ट-अप फ्रेंडली नीतियों के परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश स्टार्टअप्स का हब बन रहा है। स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय ईकोसिस्टम मुहैया कराने वाले राज्यों में मप्र अग्रणी राज्यों में शुमार है। स्टार्ट-अप ब्लिंक की रिपोर्ट के अनुसार देश में इंदौर 14वें स्थान पर और भोपाल 29वें स्थान पर है। मध्यप्रदेश के 2500 से अधिक स्टार्ट-अप केन्द्र सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में पंजीकृत हैं। इनमें से 1100 से अधिक स्टार्ट-अप महिला उद्यमियों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में 45 से अधिक इनक्यूबेटर्स प्राइमरी स्टेज के स्टार्ट-अप को विकसित करने के लिए कार्यरत हैं। केन्द्र सरकार के कपड़ा परिधान मंत्रालय का इनक्यूबेशन सेंटर ग्वालियर में संचालित है।

मप्र सरकार स्टार्ट-अप और इन्क्यूबेटर्स को बढ़ावा देने चला रही कई योजनाएं

शिवराज सरकार 5 भारतीय एआईएफ (वैकल्पिक निवेश कोष) में 10 करोड़ रुपये का निवेश करने की भी योजना बना रही है। इससे एमपी के स्टार्ट-अप में इन्वेस्टमेंट होगा। मप्र सरकार द्वारा स्टार्ट-अप और इन्क्यूबेटर्स को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्टार्टअप्स को 60 लाख रूपये तक की सहायता दी जाती है। कुल मिलाकर राज्य का दृष्टिकोण स्टार्ट-अप्स की आज की आवश्यकता के अनुरूप है। मध्यप्रदेश में कुशल प्रतिभा, बड़े आकार के घरेलू उपभोक्ता बाजार और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्टार्ट-अप्स के लिए एक विशेष अवसर के रूप में कार्य किया जा रहा है।

‘एमपी स्टार्ट-अप नीति और कार्यान्वयन योजना 2022’ शुरू

देश में स्टार्ट-अप को स्पीड अप करने और आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप 2023 के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, मप्र सरकार ने ‘एमपी स्टार्ट-अप नीति और कार्यान्वयन योजना 2022’ शुरू की है। इससे मध्यप्रदेश के मौजूदा ईकोसिस्टम को सुधारने के साथ ही जनता के बीच उद्यमिता और नवाचार की भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि ‘स्टार्ट-अप रैंकिंग’ में मप्र टॉप पर आ सके। इसके लिये योजना में स्टार्ट-अप्स और इन्क्यूबेटर्स के लिए सिंगल विंडो एजेंसी स्थापित करते हुए ‘एमपी स्टार्ट-अप सेंटर (एमपीएससी)’ स्थापित किया गया है। ‘एमपीएससी’ स्टार्ट-अप्स को मेंटरशिप प्रदान करता है और मंजूरी पाने और पूंजी जुटाने में सहायता करता है। कोई भी स्टार्टअप सीधे उनसे मदद प्राप्त कर सकता है। एमपीएससी कई स्त्रोतों से मार्केट इंटेलीजेंस एकत्र कर ईकोसिस्टम प्लेयर्स के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराता है। मार्केट इंटेलीजेंस का उपयोग सरकार की गतिविधियों के पुनर्मूल्यांकन के लिए किया जाता है, जो राज्य की आगामी नीतियों के लिये उपयोगी साबित होगा।

एमपीएससी से 21 स्टार्ट अप को मिली 20 लाख से ज्यादा की मदद

एमपीएससी ने 2022 में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिये 21 स्टार्ट-अप को 20 लाख रूपये और इससे अधिक की वित्तीय सहायता दी है। इस सहायता का उपयोग नए बाजारों में प्रवेश करने, उत्पाद विकास, व्यवसायों को बढ़ाने और कई अन्य मामलों के लिए किया जा रहा है। ये मदद कंपनी की मार्केटिंग एवं प्रमोशन के लिए भी दी जाती है। एमपीएससी ने प्रोडक्टस, सर्विस को बढ़ावा देने और नए ग्राहकों को खोजने के लिए कई स्टार्ट-अप को प्रमुख घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने की सुविधा दी है। एमपीएससी द्वारा युवाओं को शिक्षित करने के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दो दिवसीय बूट कैंप्स आयोजित करके कैपेसिटी बिल्डिंग पर विशेष जोर दे रहे हैं। बूट कैंप में युवा वर्ग को अपनी उद्यमशीलता को साकार करने में सक्षम बनाने के लिए नवीनतम तकनीकी विषयों पर जानकारी दी जाएगी।

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