बिलासपुर

वनमाली सृजनपीठ में सत्यदेव दुबे को किया जाएगा स्मरण

बिलासपुर। सत्यदेव दुबे को उनकी जन्मतिथि, 19 मार्च को वनमाली सृजनपीठ में स्मरण किया जाएगा और हिन्दी नाटक को उनके आवेदन पर चर्चा की जाएगी। मूलतः बिलासपुरवासी सत्यदेव दुबे ने मुम्बई जाकर हिन्दी नाटक को सत्यापित किया। हिन्दी फिल्मों में भी उनकी विभिन्न भूमिकाएं रही हैं। बिलासपुर की अपनी साहित्यिक पहिचान जिन 4 नामों से जानी जाती है, सत्यदेव दुबे उनमें से एक हैं।

वनमाली सृजनपीठ बिलासपुर ने अपने वार्षिक आयोजनों में इन चारों नामों को शामिल कर लिया है। नाटक और फ़िल्म के क्षेत्र में सत्यदेव दुबे के साथ डॉ. शंकर शेष, साहित्यकार श्रीकांत वर्मा और व्याकरण के क्षेत्र में पिंगलाचार्य जगन्नाथ प्रसाद ‘भानु’ जैसे दिग्गज हैं।

सृजनपीठ में 19 मार्च को सत्यदेव दुबे के स्मरण में प्रस्तावित आयोजन में सीवी रामन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और साहित्यकार सन्तोष चौबे को आमंत्रित करने पर विचार किया गया। इन्दिरा कला संगीत विश्विद्यालय खैरागढ़ में नाट्य विभागाध्यक्ष योगेन्द्र चौबे को भी आमंत्रित किया जाएगा।

बिलासपुर के वरिष्ठ नाट्यकर्मी सुनील चिपड़े ने इस अवसर पर अपने दल के साथ डॉ. धर्मवीर के प्रसिद्द “अंधायुग” के अंश का नाट्य-पठन भी प्रस्तुत करेंगे।

इस संदर्भ में हुई बैठक में डॉ. शीला तिवारी, संज्ञा टंडन, रश्मि पांडेय, राखी श्रीवास, योगेश मिश्रा, एसएल कोका, नन्द किशोर तिवारी, सुनील चिपड़े शामिल हए। सृजनपीठ के अध्यक्ष सतीश जायसवाल ने बैठक की अध्यक्षता की।

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