लेखक की कलम से

नमन शहीदों को…

मैं उन वीर शहीदों के

चरणों में शीश नवाती हूँ

जो देश-हित में बलिदान हुए

मैं उनकी गाथा लिखती हूँ

मैं उनकी गाथा गाती हूँ

मैं उनकी गाथा कैसे गाउ

वो इतिहास की अमर कहानी हैं

मैं अदनी सी एक लेखिका

अपने शब्दो में लिखती हूं

उनकी गाथा को गाती हूँ

उनकी गाथा से शब्द भरे

मैं एक कविता लिखती हूँ

कागज भी कम पड़ जाते है

ऐसी वीरों की गाथा हैं

अपनी मां को वो छोड़ चले

भारत माता के चरणों में

मैं उन वीर शहीदों के

चरणों में शीश नवाती हूँ

वो अपने घर के सहारा थे

माता की आँख का तारा थे

देश के लिए जो शहीद हुए

वो बलिदानों की गाथा हैं

वो वीर शहीद हो जाता हैं

जब लिपट तिरंगे आया हैं

मैं उन वीर शहीदों के

चरणों में शीश नवाती हूँ

हम बैठे होते जब  घर में

वो झेल रहे होते गोली

हम दीप उत्सव मना लेते

वो खेल रहे खूंन कि होली

हम चैन से सोते जब घर मे

वो माँ का पहरा देते हैं

हँसते हँसते शहीद हो जाते है

इतिहास मेनाम लिखाते हैं

 

©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद      

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