लेखक की कलम से

दोस्ती…..

 

आपसी रिश्तों में

द्वेष या मलीनता नहीं

बल्कि विश्वास है

अगर साथ हो

वो हरपल, तो

जीने की आस है

एक ऐसा पवित्र रिश्ता

जिस पर सारा

जीवन कुर्बान है

यहां न कोई अमीर

न कोई गरीब

सबका सम्मान है

हर्ष हो या विषाद

प्रतिपल मिलता

उसका साथ है

संकट में संबल

बनकर जो रहता

हमारे आसपास है

मन में क़िंचित्

वैमनस्यता नहीं

न कोई भेद भाव है

एक दूजे के प्रति

समर्पण भाव निरंतर

प्रेम और अनुराग है

हिल जाती है

दोस्ती की नींव, यदि

रिश्तों में खटास है

दोस्ती का रिश्ता

अनमोल है,दोस्त बिना

जीवन वीरान है

  ©राजीव भारती, भिवानी हरियाणा   

 

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