जन स्वास्थ्य केंद्र में सजग ने बांटे मरीजों को 100 कंबल
बिलासपुर । आज हम मित्रों कि टोली सजग के कार्यक्षेत्र में एक उपलब्धि की प्राप्ति हुई। हमें अपने सेवाकार्यों को करने तथा गौरवान्वित महसूस होने का अवसर प्राप्त हुआ। 6 दिसम्बर 2019 के इस आयोजन में हमें लगा कि हम सब अपने दानदाताओं की प्रशंसा करें या जिनके कारण हमारी टोली सजग लाभान्वित लोगों तक पहुँच सकी। उन चिकित्सकों की टीम की तारीफ करें।
एम्स दिल्ली में चिकित्सक सेवा के लिये पढ़े और उच्च शिक्षण प्राप्त किये चिकित्सकों की एक मंडली ने अपने शिक्षण से कुछ करने का विचार मन में बनाया। इन आठ डॉक्टरों की टोली ने विचार किया कि वो अपने शिक्षा को उन लोगों तक पहुचायेंगे जो सामाजिक रूप से वंचित और आर्थिक रूप से अत्यंत पिछड़े हुए हैं। ऐसे में बिलासपुर जिले के विकासखंड तखतपुर के ग्राम गनियारी को इन्होंने देशभर से अनेकों स्थान पर घूमने के बाद चयन किया। यहाँ अनुसूचित जाति और आदिवासी जनजाति तथा पिछड़े आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने इन 8 चिकित्सकों की टीम ने गनियारी में अपनी सेवा कार्यक्षेत्र स्थापित करने का मन बनाया।
बिलासपुर संभाग के तात्कालीन आयुक्त हर्षमंदर, कलेक्टर शैलेन्द्र सिंग, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व जितेंद्र शुक्ला को डॉक्टरों की टीम ने संपर्क कर अरपा भैंसाझार परियोजना के तात्कालीन समय में बन्द प्राय योजना के उजाड़ भवन को अपना कार्यस्थल बनाकर प्रारंभिक तौर पर चिकितसालय प्रारम्भ किया।
लोगों तक पहुंचने के लिये 1999 में साक्षरता का एक आंदोलन चलाया गया था। पढ़ना-बढ़ना आंदोलन। इस आंदोलन में बिलासपुर जिले के साक्षरता का प्रभार सन्दीप चोपड़े के पास होने से लोगों को शिक्षा के साथ स्वास्थ के प्रति जागरूक बनाने के लिये गांव के 15 से 35 आयु समूह के लोगों से निरन्तर सम्पर्क किया जा रहा था। उस समय डॉ रमन कटारिया और उनकी टीम के लोगों ने अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में यह अस्पताल जन स्वास्थ्य सहयोग केंद्र प्रारम्भ किया।
इस अदम्य इच्छा शक्ति वाले डॉक्टरों की टीम में डॉ. रमन कटारिया, डॉ. अंजू कटारिया, डा. योगेश जैन, डा. रचना जैन, डॉ. विश्वरूप चटर्जी, डा. माधुरी चटर्जी, .डा अनुराग भार्गव, डा. माधवी भार्गव शामिल थे। लोगों ने इस चिकित्सालय के प्रकल्प को मूर्त रूप दिया।
आज यह जन स्वास्थ्य सहयोग केंद्र गनियारी एक पूर्ण रूप से विकसित 100 बिस्तरों के सर्व सुविधा युक्त अस्पताल के रूप में विकसित हो गया है। इसमें 18 डॉक्टर, 60 नर्से और 240 कर्मचारियों के साथ दो ऑपरेशन थिएटर, भोजनालय, 8 वार्ड और सप्ताह में तीन दिन लगभग 500 पेशेंट की ओपीडी और 3 दिवस ऑपरेशन होते हैं।
इस अस्पताल के प्रबंधन को पहले अल्प अवधि के लिए में कुल 10 एकड़ की भूमि लीज में मिली थी। अंतराल में इनके कार्यों को देखकर लीज की अवधि बढ़ा दी गई। इस भूमि में से लगभग 3 एकड़ में ऑर्गेनिक पध्दति से कृषि का कार्य किया जाता है।
इस अस्पताल में प्रथन पंजीयन मात्र 10 रुपये से प्रारंभ होकर चिकित्सकों के निःशुल्क कंसल्टेंसी की सुविधाएं यहां उपलब्ध है। यहाँ प्रदान की जाने वाली औषधी एकदम कम लागत कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है और अनेकों को मुफ्त भी दी जाती है।
इस विशाल वृक्ष के रूप में विकसित नो प्रॉफिट सिस्टम के अस्पताल को जन स्वास्थ्य सुविधा केंद्र के नाम से जाना जाता है।
इस अस्पताल जेएसएस में सभी डॉक्टरों और कर्मचारियों की टीम के द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के साथ-साथ समाज के सभी तबकों प्रति पूरी निष्ठा से कार्य किया जाता है।
आज 6 दिसम्बर को हम मित्रों की टोली सजग ने निस्वार्थ भाव से संचालित इस अस्पताल के द्वारा लाभान्वित मरीजों और उनके परिजनों को ठंड से बचने के लिये कंबल उपलब्ध कराने का लक्ष्य हासिल किया। इस बार सजग टीम के साथी पी दाशरथी के पड़ोसियों और जगन्नाथपुरम कालोनी बिलासपुर के अत्यंत संवेदनशील लोगों, राजेश लम्बा, बबला मिश्रा, जसबीर सिंग, विश्वनाथ तिवारी, विसवेश त्रिवेदी के साथ कालोनी वासियों ने लगभग 100 कंबल सजग को प्रदान किये। जो आज के इस आयोजन में हम सब ने इस अस्पताल के कुछ लोगों को वितरित किये गए। शेष दो बंडल अस्पताल प्रबंधन मरीजों को उनकी आवश्यक्ता के अनुसार वितरित करेंगे।
आज के इस कार्यक्रम में डॉ रमन कटारिया, जिले के जिला शिक्षा अधिकारी आरएन हिराधर, पी दाशरथी, सहायक संचालक शिक्षा, संदोप चोपड़े सहायक संचालक, रविन्द्र चारी प्राचार्य, शिरीष पांडेय व्यख्याता, अखिलेश मेहता एमआईएस के साथ अस्पताल प्रबंधन के प्रशासक बीजी परमानद उपस्थित थे।