मध्य प्रदेश

मनपसंद स्टाफ की तैनाती के लिए ‘प्रशासन’ से एक कदम आगे…

भोपाल

मंत्रियों के स्टाफ मेंं पहले तैनात रह चुके अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति सामान्य प्रशासन विभाग नहीं कर रहा है तो मंत्रियों ने अपने चहेतों को अपने साथ रखने बैकडोर एंट्री का रास्ता निकाल लिया है। अब मंत्रियों ने अपने चहेते अधिकारियों के ओएसडी के रूप में आदेश अपने विभाग से जारी करवा लिए हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कैबिनेट बैठक में मंत्रियों को ताकीद कर चुके है कि अपने स्टाफ के लिए अफसरों की नियुक्ति के लिए सिफारिश करते समय सतर्क रहें। किसी दागी, विभागीय जांच, अनियमितताओं की शिकायत मेंं उलझे स्टाफ की नियुक्ति के लिए सिफारिश करने से परहेज करे। कांग्रेस हो या भाजपा सरकार में मंत्रियों के स्टाफ में काम करने के लिए चुनिंदा अधिकारी-कर्मचारी हमेशा जुगत में लगे रहते हैं। मंत्रियों को विभागों का बंटवारा होते ही ये चुनिंदा कर्मचारी-अधिकारी बिना आदेश के ही मंत्रियों के साथ काम करना शुरू कर देते हैं। नियमों के मुताबिक मंत्रियों के ओएसडी की तैनाती के आदेश सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक करता है और निज सचिव व निज सहायक की नियुक्ति सामान्य प्रशासन विभाग अधीक्षण शाखा करती है।

जीएडी कार्मिक ने अभी किसी ओएसडी के आदेश जारी नहीं किए है। वहीं जीएडी अधीक्षण शाखा ने एक,दो निज सचिव, निज सहायक के आदेश ही जारी किए हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश और जीएडी की सख्ती के बाद मंत्रियों ने चहेते स्टाफ की तैनाती के लिए पिछले दरवाजे से उनकी एंट्री करने का रास्ता निकाल लिया है। संचालनालय में संयुक्त संचालक के पद पर पदस्थ एक अफसर को विभाग के उपसचिव ने उनके वर्तमान कार्य के साथ-साथ मंत्री की निजी पदस्थापना में विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी के रुप में अस्थाई रुप से आगामी आदेश तक कार्य करने के लिए आदेश जारी किया है। वहीं एक विभाग की अवर सचिव ने विभाग के एक सहायक संचालक को तत्काल प्रभाव से मंत्री की निजी पदस्थापना में विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी के पद पर पदस्थ करने के आदेश जारी किए है।

विभागीय ओएसडी पूर्वाग्रहों से रहता है ग्रसित, निकालता है खुन्नस
विभाग के अधिकारी को ओएसडी बनाए जाने से विभाग के कर्मचारी भी नाराज है। कर्मचारियों का कहना है कि विभाग का ओएसडी या विशेष सहायक बनता है तो वह पूर्वाग्रह से पीड़ित रहता है और विभाग केअन्य कर्मचारियों से अपनी पुरानी दुश्मनी निकालता है किसी का नुकसान करता है और खुद के फायदे प्रमोशन के लिए कार्य करता है। इस प्रकार के अधिकारी अन्य अधिकारियों का आर्थिक नुकसान और वरिष्ठता को नुकसान पहुंचाते है। उन्हें विभाग के अन्य अधिकारियों के गृह निवास और कमजोरी का पता रहता है इसलिए वे इसका फायदा भी उठाते है।

बिना आदेश के मंत्रियों के ओएसडी, निज सचिव, निज सहायक का काम कर रहे कर्मचारी/अधिकारी
फिलहाल मंत्रियों के स्टाफ में जो लोग काम कर रहे हैं उसमें से अधिकतम लोगों का जीएडी कार्मिक से आदेश जारी नहीं हुआ है। बिना आदेश के ही मंत्रियों के स्टाफ में अधिकारी/कर्मचारी काम कर रहे हैं। इसको लेकर शिकवा-शिकायतों का दौर भी शुरू हो गया है। उधर मंत्रियों ने भी अपने विश्वसनीय और चहेते अधिकारी/कर्मचारियों को अपने स्टाफ में पदस्थ करने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को नोटशीट भेजी है। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कई मंत्रियों की करीब 2 दर्जन नोटशीट वापस भी कर दी है। ये नोटशीट इसलिए वापस भेजी गई है क्योंकि जिनकी सिफारिश की गई थी वे कसौटी पर खरे उतरते नहीं दिख रहे हैं।

सीएम के निर्देशों का पालन होगा
 इधर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी का कहना है कि मंत्रियों के स्टाफ में अमले की तैनाती के लिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन किया जाएगा। जिस स्टाफ की सिरफारिश आती है उसका पर्याप्त परीक्षण करने के बाद ही बेदाग अमले की नियुक्तियां स्टाफ में की जाएगी।

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